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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गुरुवाणी "बोली बोल अमोल है बोल सके तो बोल । पहले मन में तोल के पीछे मुख से बोल ||” कवियों ने बड़ा सुन्दर चिन्तन दिया. अगर आप विचारपूर्वक तोल करके शब्द का प्रयोग करेंगे, तो शब्द का व्यापार आपको लाभ देने वाला होगा. आत्म-सन्तोष और आत्म-तृप्ति देने वाला होगा. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir परन्तु वहां विवेक अगर चूक गए तो उसका परिणाम संघर्ष होगा. क्लेश का कारण बनेगा. कैसे बोलना है, उसका विवेक पहले अपने में आना चाहिए. ये शब्द ऐसे हैं, जो बड़े मूल्यवान हैं. कई आत्माओं को जागृत करने में शब्द सहायक बनते हैं. ये शब्द क्या हैं? एक प्रकार के प्रहार हैं. आपकी आत्मा पर एक प्रकार की चोट हैं. प्रवचन क्या है ? प्रवचन प्रहार है. आपकी अन्तरात्मा को चोट दे जाता है. आपको जगा जाता है. आपका विवेक जागृत हो जाए, जो सुषुप्त दशा में है. उस चेतना को जागृत करने के लिए शब्द की मार है. सन्त शब्दों के द्वारा आपको जागृत करते हैं. और कुछ नहीं. जीवन क्या है ? जब ऐसा विचार करिए. बाज़ार के अन्दर में आप जाइये. जीवन एक चद्दर है. स्टील के सीटस् आते हैं. वे लम्बी चद्दर आदि आप लेकर के आ जाते हैं. यदि आप तालाब में, गंगा में जा करके डालें तो सीट्स डूबेगी या तैरेगी ? डूब जाएगी. परन्तु उसी स्टील को यदि आपने फैक्टरी में भेजा. बर्तन बन निकले किसी फैक्टरी में वहां पर यदि उसका उपचार किया जाए. प्रयोग किया जाए. तो आकार देने से पहले क्या किया जाता है. माप पूर्वक उसको काट किया जाता है. कटिंग मशीन में जाता है. उसके बाद ऐसा हैवी प्रेशर दिया जाता है. उस दबाव के कारण वह बर्तन का आकार ले लेता है. भगोना बन जाता है, तपेला बन जाता है. लोटा बन जाता है. इतना भयंकर उसको प्रेशर दिया जाता है, वज़न से दबकर के चोट से वह आकार ले लेता है. यदि एक बार सीट में से आकार पैदा हो गया, फिर यदि आप गंगा में, जमुना में डालें वह डूबेगा, नहीं. वही चीज़ है, मात्र उसको आकार मिल गया. वही प्लेन सीट यदि आप डालते हैं तो डूब जाती है, उसे यदि चोट पहुंचा कर आपने आकार दे दिया तो आकार का चमत्कार, डूबेगा नहीं, फिर तैरेगा. यह जीवन परमात्मा की कृपा से, पूर्व के पुण्य से वर्तमान में आपको मिला. यहां मेरा काम कुछ नहीं. यह धर्म स्थान है, यह तो फैक्टरी है. आध्यात्मिक साधना के लिए एक ऐसी फैक्टरी है. शब्द की मार पड़ती है. वज़न पड़ता है. प्रवचन का हैवी प्रेशर पड़ता है. उससे इस जीवन के आचार का आकार आपके जीवन में आ जाए. उसका चमत्कार कि यह संसार सागर में फिर नहीं डूबेगा. तैरेगा. हम डूबने के लिए पैदा नहीं हुए, तैरने के लिए यहां आए हैं. 206 For Private And Personal Use Only प F
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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