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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra han www.kobatirth.org : गुरुवाणी था कि उसने कहा-क्षमा कीजिए, मुझे मिलने के लिए आप अभी आग्रह छोड़ दीजिए. आप मेरे सैक्रेटरी से मिल लीजियेगा. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नहीं नहीं मैं आपसे मिलना चाहता हूं, इसी समय आना चाहता हूं. अतिआवश्यक कार्य है. मैं आपसे कोई पैसा मांगने नहीं आ रहा हूं. जैसे ही वहां उनके ऑफिस में गया और परिचय दिया और कहा, आपने मुझे उस समय समुद्र के किनारे, रात्रि में एक बजे एकान्त में आकर आश्वासन दिया था. आपको मालूम होगा सहयोग देने का वचन दिया था. ज़रा भूतकाल की स्मृति उसने ताज़ी की वह व्यक्ति देखिये ऐसी मुसीबत में है परन्तु उसकी नम्रता कैसी है. शिष्टाचार कैसा ! भाई मुझे क्षमा करो. मैं इस समय कोई सहयोग देने की स्थिति में नहीं हूं. जब भी अनुकूल समय होगा मैं तुम्हें बुला लूंगा. आप अभी भी गलत समझ रहे हैं. आप कार्ड पढ़िये, आपके सामने रखा है. मैं कोई आपसे सहायता या सहयोग की अपेक्षा से नहीं आया हूं मैं कुछ आपको अर्पण करने आया हूं. मेरे जीवन पर आपका इतना महान् उपकार है. उस समय आपने जो उदारता का परिचय दिया और जो शिष्टाचार से आपने मेरे जीवन को प्रेरणा दी, मैंने बहुत कुछ आपसे पाया है, जो मैंने कम्पनी से आज तक नहीं कमाया था, वह कमाई आपके क्षणिक परिचय से मेरे अन्दर हुई. कुछ सेवा की भावना लेकर आया हूं. आप मुझे क्या सहयोग देंगे. आप जो कुछ मांगिए. चैक बुक आपके सामने रखता हूं और आपकी कम्पनी को जो सहयोग चाहिये मैं देने को तैयार हूं. अब सारी बात उसने स्पष्ट की, कि मैं तो घूमने निकला था. आपने समझ लिया कि मैं मरने जा रहा हूं. आपने मुझे बोलने का अवसर ही कहां दिया था. उससे पहले ही आप चले गये. मैंने आपके विचार पर गम्भीरतापूर्वक चिन्तन किया. मेरी आंख खुल गई. मुझे जीवन जीने का तरीका मालूम पड़ा. आप जो कहें देने को तैयार हूं. पन्द्रह करोड़ डालर उस व्यक्ति ने हस्ताक्षर करके उस कम्पनी को दे दिया, ताकि डूबती हुई कम्पनी तैरने लग जाये और कहा कि मैंने आपकी बदौलत बहुत कुछ पाया है. यह मैंने कुछ नहीं किया. भविष्य में मैं तो चाहता हूं मेरी कम्पनी के साथ साझेदारी हो जाये. मेरा हर संभव सहयोग आपकी कम्पनी और आपके लिए है. इस तरह अपना वह मानवता का ऋण चुका सकूंगा. अमेरिका जैसी अनार्य भूमि पर ऐसे संस्कार कैसी सुन्दर मानवता के संस्कार. कोई लेना-देना नहीं एक सामान्य परिचय, एक क्षणिक परिचय. कैसी विचार की सुन्दरता. आत्मा को जागृत कर दिया. उस व्यक्ति ने उपकार का बदला पंद्रह करोड़ डालर का चैक दे दिया. 178 For Private And Personal Use Only घ
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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