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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -गुरुवाणी - मफतलाल जानता था, एक तीर से दो शिकार हो गए. गाय को निकालने का पैसा बचा. तकलीफ बची. मेहतर को बुलाओ, रुपया, सवा रुपया मांगें, घर की शद्धि कराओ. अपने यहां नियम बहुत हैं. गोदान का गोदान हो जाएगा और यह गाय टिकने वाली भी नहीं है, मरने वाली है. बेचारे पंडित जी घबरा गए. ब्राह्मण का घर. यहां तो गऊ का मर जाना, अनाज वगैरह सब बाहर निकाल देना पड़ेगा, बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान होगा. रोते हुए सेठ के पास आए कि सेठ साहब सवा पाव दूध नहीं पिया और यह हालत हुई. हम तो ब्राह्मण हैं. घर की शुद्धि करवानी होगी. अनाज तेल जो घर में है, सब बाहर निकाल देना पड़ेगा. सूतक पालना पड़ेगा. सेठ ने कहा - क्यों रामायण बांच रहे हैं, आपको दे दिया, आप जाने, आपकी गाय जाने, मेरा क्या लेना-देना? मैंने तो आपको पकड़ा दिया. आपके भाग्य में नहीं मैं क्या करूं. यहां से कुछ मिलने वाला नहीं. मरते-मरते गौ दान किया, परन्तु गौदान भी बड़ा विचित्र. पैसा भी बच जाए और गौदान का नाम भी हो जाए. पंडित रोता हुआ गया. शाम को सेठ साहब भी परलोक पहुंच गए. मरने वाले तो थे ही. मरकर के स्वर्ग में गए. जाते ही वहां पर धर्मराज ने पूछा - कहां से आए? दिल्ली से आया हूं. क्या बात है? क्या पुण्य कार्य किया कि आप यहां स्वर्ग में आ गए. तुम्हारा बहीखाता देखू? बही खाता देखते हुए धर्मराज ने कहा मरते हुए गाय दान किया था और चार घण्टे वह गाय ब्राह्मण के यहां जीवित रही. चार घण्टे तक स्वर्ग का आनन्द ले लो. उसके बाद तो नीचे नरक में जाना पड़ेगा. चार घण्टा बहुत है, उसके बाद जहां भेजना हो भेज देना मुझे कोई आपत्ति नहीं. वहां पर गाय आकर के हाजिर हो गयी. धर्मराज ने कहा यह गाय जिसका तुमने दान किया था. तुम्हारे आदेश का पालन करेगी. तुम्हारी सेवा में हाजिर रहेगी. चार घण्टे के बाद गाय लुप्त हो जाएगी. तुमको ट्रांसफर करना है. तैयार रहना. गाय मेरा आदेश मानेगी. आप वचन से बद्ध हैं. गाय को आदेश दिया क्या देखती है? लगाओ धर्मराज को सींग, बेचारे भागे, तहलका मच गया, कि जब नरक में ही जाना है तो पूरी तरह से जाऊं. • ऐसा चमत्कार दिखाकर के जाऊं कि देवता भी याद करें. बेचारे धर्मराज भाग करके विष्णु के पास निवेदन करने गए मफतलाल भी पहुंचे. गाय को आदेश दिया क्या देखती है? लगा सींग. विष्णु जी घबरा गये सिंहासन भी हिलने लगा, वचन से बद्ध थे. मना नहीं कर सकते थे. आदेश का पालन भी आवश्यक था. शंकर. के पास गए. पूरे देवलोक में तहलका मचा दिया. जिसको देखे-लगा सींग. जब नरक में ही जाना है तो फिर कसर क्या रखनी. पूरी तरह हैरान-करके जाना है. देवलोक में तहलका मच गया, बड़ा विचित्र आदमी आया है. बड़ा खतरनाक है. जैसे ही चार घण्टा हुआ गाय लुप्त. वह चली गई. 158 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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