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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir % 3Dगुरुवाणी ऐसा करो! अब कफन ले आए, तो इसका उपयोग कर लेने दो. वृद्ध कहता है, क्या बोला मेरे लिए नौ गज कफन लाया है. वे समझ गए कि पिता के कान तक आवाज चली गयी. वे फुसफुसा रहे थे. पिताजी ने कहा बेटा! इसकी क्या चिन्ता करता है. अरे, आधा फाड कर रख दे, तेरे काम आएगा. __ मरते-मरते भी वृद्ध कहता है - "आधा तेरे काम आएगा” – मेरे लिए तो आधा ही बहुत है. ऐसे आदमियों को क्या धर्म उपदेश देंगे, और क्या संस्कार मिलेगा. एक नया पैसा जिससे छूटे नहीं. जानता है कि मरने के बाद यह सब पराया होने वाला है फिर भी कैसा ममत्व? यह बड़ी खतरनाक चीज है. प्रलोभन का प्रतिकार करना बहुत कठिन है. व्यक्ति उस चक्कर से निकलता ही नहीं और जब तक प्रलोभन नहीं जाएगा परोपकार नहीं जन्मेगा. वह तो भावना को मूर्छित कर देगा, चाहे आप कितना ही प्राप्त करें. आखिर उसका परिणाम तो गलत आएगा. ऐसी परिस्थिति में क्या किया जाए. सद्भावना का पोषण कैसे किया जाए? इसका रक्षण कैसे किया जाए? हमारे यहां एक नहीं अनेक प्रश्न रखे हैं जिससे अपने को प्रेरणा मिलती है. उन आत्माओं के जीवन व्यवहार से प्रेरणा मिलती है. हमारा भी लक्ष्य ऐसा होना चाहिए. हमारे अन्दर भी भावना विकसित होनी चाहिए. दीन-दुःखी आत्माओं की भक्ति से, जो पुण्य जन्मा, उस पर मेरा अधिकार कैसे? सभी आत्माओं की सेवा से यह पुण्य मिलता है तो इसके अन्दर से कुछ न कुछ तो मैं परोपकार में दूं क्या दूं? गुजरात के महामंत्री वस्तुपाल तेजपाल ने माउण्ट आबू में एक अद्भुत जिनालय बनवाया जिसमें विक्रम संवत् ग्यारह सौ बारह में बारह करोड़ रुपये लगे थे। यह विश्व में एक बेजोड़ ऐतिहासिक मन्दिर है. ऐसी सजीव कला है जैसे पत्थर बोलते हों, उसमें प्राण आ गए हों. बनाने वाले की भावना भी कैसी थी. उनके महल की एक ईंट नहीं रही. मन्दिर कायम रह गया. वस्तुपाल तेजपाल महामंत्रियों का मन्दिर आबू और देलवाड़ा में आज भी कायम है. आज नौ सौ वर्ष हो गए. कुमारपाल सम्राट का प्रतीक. तारंगा का क्या भव्य कलात्मक मंदिर है. आपने चमत्कार देखा मंदिर की एक ईंट नहीं गिरी और उनका महल साफ हो गया, महल कहां था? यह भी पता नहीं. एक ईंट नहीं मिलती. मंदिर पूरा का पूरा कायम है. जीवन में परोपकार रहेगा. अपने लिए किया हुआ, जो भी है, उसका नामोनिशान नहीं रहेगा. एक सन्त के पास बहुत धनाढ्य व्यक्ति चला गया. कहा महाराज मेरे मकान का उद्घाटन है. बंगला बड़ा शानदार बनाया है. महात्मा ने कहा ठीक है. सामने हिन्दुस्तान ना 153 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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