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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir गुरुवाणी - - ऐसी अन्तर्भावना जब भवों का नाश कर देती है तो पाप का नाश कैसे नहीं करेगी, दुर्विचार का नाश कैसे नहीं करेगी? हमेशा सद्भावना से आत्मा को वासित करें. प्रयत्न करिए ज़रा भी दुर्भावना आ जाए, प्रतिकार करिए, उसको चोट पहुंचाइये. इन्द्रियों को कभी हावी न होने दीजिए क्योंकि ये पाप के प्रवेश-द्वार हैं वहां पहले ही अपना नियन्त्रण होना चाहिए. आत्मा पर अधिकार बाद में होगा, पहले अपनी इन्द्रियों पर अधिकार करें, अपने विषयों पर अधिकार करें. अपनी भावना में विवेक का संचार करें और उसके पश्चात आत्मतत्व की चर्चा करें. आत्मा-परमात्मा और मोक्ष तो बहुत दूर की चीज़ है. पहले आप जहां खड़े हैं, उस धरती को देखें कि मैं कैसे चल रहा हूं, ठोकर तो नहीं खाऊंगा. मेरा व्यवहार किस प्रकार का है, मेरे व्यवहार से किसी आत्मा को अप्रीति तो नहीं होगी. मेरे जीवन में मेरे व्यापार में कोई गलत कार्य तो नहीं होगा. उसके अन्दर प्रलोभन का प्रवेश तो नहीं होगा. वह उपार्जन पवित्र तो होगा. अस्तु, पहले व्यावहारिक दृष्टि को व्यापक बनाना है और उसके बाद आध्यात्मिक जगत् में प्रवेश करना है. ये सारी चर्चाएं जीवन व्यवहार से संबंधित बातें हैं. इसीलिए मैं यहां कर रहा हं. “दीनाभ्युद्धरणादरः" जीवन में एक भी किसी दीन-दुःखी आत्मा की सेवा की हो, अपने जीवन की डायरी में लिखा हो, कि मैंने कहीं इस प्रकार का कार्य किया हो तो उससे प्रसन्नता हो. कभी किया ही नहीं और मात्र बोल कर के रह जाएं. बोलने से बीमारी नहीं जाती. सेठ मफतलाल के यहां वैद्य आए. ठण्डी का समय था. उम्र भी बहुत हो गई, बीमार थे. वैद्य ने कहा कि ऐसा करिए, शीत ऋतु है और मैं एक रसायन लिखकर देता हूं, आप उसका सेवन करिए, आपको आरोग्य मिल जाएगा, बड़ी शक्ति मिल जाएगी. बहुत लम्बा-चौड़ा फार्मूला दे दिया - सोना भस्म, वसन्त-मालती. उसके अन्दर बड़े कीमती रसायन थे. परन्तु वह एक टका भी खर्चे नहीं. आदत से वह मजबूर थे. मरने का समय आ गया. डाक्टर ने आ कर कह दिया --- सेठ साहब! अब अपनी परलोक की तैयारी कीजिए, राम नाम की औषधि लीजिए - यह दवा कोई काम नहीं आएगी. सेठ मफतलाल अन्तिम सांसें गिन रहे थे. लड़के कफन लेने गये. अन्तिम समय की तैयारी में लग गए. उनका बिस्तर नीचे रख दिया गया. घी का दीपक भी रख दिया गया. कान में प्रभु का नाम दिया जा रहा था. संयोग से बड़ा लड़का कफन जल्दी से लेकर आ गया. छोटा लड़का बड़े भाई से कहता कि आप सामान ले आयें. वृद्ध सेठ मफतलाल, बड़ा ध्यान देकर सुनता है. अभी तक कान सक्रिय हैं. बड़े लड़के ने कहा ले तो आया हूं परन्तु कफन बहुत बड़ा आ गया है. जल्दबाजी में नौकर नौ गज का ले आया. - ना 152 For Private And Personal Use Only
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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