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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra AG www.kobatirth.org गुरुवाणी की तरफ बार-बार इशारा कर रहा. बोला नहीं जाएं ? ऊह ऊह, इतना ही शब्द निकले. इशारा दरवाजे पर ही करे, " बच्चे समझ नहीं पाए कि इशारा किस बात का कर रहे हैं. बच्चों ने समझा कि कुछ बताने की इच्छा है, बोल नहीं पा रहे गांव में एक बड़ा जबरदस्त वैद्य था, वहां गए और कहा कि मेरे पिता की अब अवस्था भी है, बीमार भी हैं, कोई ऐसी दवा आपके पास है जिससे वे अन्तिम समय में कुछ बोल सकें. वैद्य ने कहा कि है संजीवनी नाम की दया है. पांच सौ रुपए की एक खुराक पड़ेगी गुलाब जल में घोंट कर दो मरता हुआ इंसान भी एक बार दो मिनट के लिए ज़रूर बोलेगा गर्मी आ जाएगी. रक्तचाप उच्च हो जाएगा. वह उठ के बैठ जाएगा उससे इतनी गर्मी और उत्तेजना पैदा होगी कि जीभ हिलने लग जाएगी. जो पूछना हो पूछ लेना. दो या तीन मिनट इसका असर रहेगा, उसके बाद नहीं. दूध के साथ पिला बच्चों ने देखा यह घाटे का सौदा तो यह है नहीं. सारा पता लग जाएगा. लाखों की सम्पत्ति दिख रही थी. बेचारे गए तीनों बच्चे दवा लाए, दूध के साथ पिलाया और पिलाते ही दस-पन्द्रह मिनट के अन्दर शरीर में जाते ही दवा ने असर किया, एकदम उत्तेजना आई बाप एकदम उठकर के बैठा तीनों बच्चे ऐसे वीतरागी बन गए एकदम नम्र, देखने लायक बिना नम्रता के प्राप्ति नहीं होती. बच्चों ने बड़ी विनम्रता से कहा-पिता जी! आप सुबह ग्यारह-बारह बजे बार-बार कुछ इशारा कर रहे थे, हम समझ नहीं पाए. रोकड़ रकम कहां है. ब्याज- बट्टे पर दी हुई वह सब राशि कहाँ है ? अगर पता चल जाए, तो हम उसकी वसूली कर सकें. - Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - बाप को यह सुन कर के ऐसा गुस्सा हुआ, जैसे आग में घी डाला हो. बेवकूफों क्या मुझे यहां मारने आये हो क्या मैं मरने वाला हूं? क्या समझ रखा है? एक घण्टे तक दरवाजे पर मैंने इशारा किया और तुम समझ नहीं पाए बेवकूफों तुम क्या शहर की दुकान सम्भालोगे ? दिवाला निकालोगे क्या दिवाली मनाओगे. घण्टे भर तक इशारा किया. मेरे ध्यान में आ गया लेकिन तुम्हारी अकल में नहीं आया. बात करते-करते घड़ी तो अपना समय पूरा कर रही थी. उन्होंने कहा पिताजी! कहिए तो सही, हम समझ नहीं पाए. 139 ― क्या समझ नहीं पाए. घण्टे भर तक इशारा किया • वह बकरी घुस गई थी, मैं माचे में लेटा देख रहा था. वह झाडू खा रही थी. मैंने कहा- इसको निकालो, निकालो निकालो और तुम बेवकूफों-गधों में अकल नहीं, बकरी पूरा झाडू खा गई. इतने में तीन मिनट पूरे हुए जुबान अटक गई और वह वापिस लेट गए. For Private And Personal Use Only तीनों बच्चों ने माथे पर हाथ ठोंका कि पांच सौ की दवा पिलाई, वह भी पानी में गई. मरते-मरते इसको झाडू दिखायी पड़ा. R
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
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