SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 144
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org गुरुवाणी: में अपने सदाचार का आप रक्षण कैसे करें. राष्ट्र को बल कहां से मिलेगा ? भ्रष्टाचार बढ़ेगा. विषय की पूर्ति के लिए गलत रास्ते लेने पड़ेंगे. रोज ये दुर्घटनाएं हम अपनी नज़रों से देखते हैं, और फिर उसमें हमारी सरकार का साथ मिल जाता है. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir घर-घर में कसाईखाना खोल दिया गया है. जहां-जहां जाता हूं विज्ञापन देखता हूं दो सौ रुपए के अन्दर गर्भपात. पढ़ते समय शर्म आती है, मन में इसका दर्द पैदा होता है. हिंसा जिसे हमारी संस्कृति के अन्दर भयंकर अपराध माना गया, सरकार उसको प्रोत्साहन देती है, और हमारी आर्य संस्कृति के परिवार में मानव हत्या जैसे भयंकर पाप किए जाते हैं. कभी आपके हृदय के अन्दर यह भावना आती है. माताओं के हृदय के अन्दर कभी यह करुणा आती कि अपने पेट में पल रहे उस बालक को हमने स्वयं मार डाला, हत्यारा बना प्रभु का अपराधी बना. सामाजिक दृष्टि से तो अपराध है ही आध्यात्मिक दृष्टि से तो सबसे बड़ा पाप है. गर्भपात के द्वारा पंचेन्द्रिय की हत्या, मानव हत्या जैसे भयंकर पाप इस जगत् में किए जा रहे हैं कि इसके वर्णन के लिए हमारे पास शब्द नहीं हैं. आज तक हम पशुओं को बचाने के लिए चिल्लाते रहे. अब तो मुझे चिल्लाना पड़ेगा कि अपने बालक को बचाओ. पाप को छिपाने के लिए व्यक्ति कितना बड़ा पाप करता है और उसमें फिर सरकार सहायक बनती है. विदेशों के अन्दर इसका बड़ा प्रतिकार किया जा रहा है. अमेरिका की प्रजा में बहुत बड़ा विद्रोह चल रहा है. रोमन कैथोलिक सम्प्रदाय इस चीज़ को बिल्कुल नहीं मानता. इस्लाम बिल्कुल नहीं मानता. परन्तु आश्चर्य है कि हमारी हिन्दु संस्कृति या जैन संस्कृति इस बात को ज़रा भी स्वीकार नहीं करती. यह तो सरकार का अत्याचार है, बलात्कार है और हमारी आवाज तक नहीं उठती. हमनें उसे स्वीकार कर लिया. कोई आन्दोलन नहीं. आपको स्वयं इसका निर्णय करना पड़ेगा. यह हमारी वर्तमान स्थिति है. कहां जाएं! कैसे हम अपने सदाचारी जीवन की रक्षा कर सकें! मैं तो कहूंगा कि पहले आप स्वयं अपने परिवार में इस प्रकार तैयारी करिए. अपने परिवार को सुन्दर बनाइए ताकि आपका आदर्श देख कर के दूसरे व्यक्ति कुछ पा सकें. अपने बच्चों को आप ऐसा तैयार करिए. गुरुजनों के सम्पर्क में लाइए. मनोवैज्ञानिक उपचार करिए ताकि उनके अन्दर मनोवैज्ञानिक परिवर्तन आ जाए और भविष्य में वह सन्तान आपके लिए आशीर्वाद बने और अगर यह संस्कार नहीं दिया तो यह संतान भविष्य में आपको रुलाएगी. आपके जीवन को, आपकी मौत को भी बिगाड़ कर रहेगी क्योंकि सदाचार ही नहीं तो सद्विचार कहां से आएंगे. बिना सदाचार के सद्विचार जन्म ही नहीं लेते. 115 For Private And Personal Use Only 同 घ
SR No.008711
Book TitleGuruvani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmasagarsuri
PublisherAshtmangal Foundation
Publication Year1996
Total Pages410
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy