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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३५ (७) सीमन्धर जिन विचरता, सोहे विजय मोझोर: समवरण रचे देवता, HTM पर्षदा बार १ नवतत्त्वनी दिये देशना सांभळे सुर नर कोड. षड् द्रव्यादिक वर्णवे, ले समकित करजोड. ३ ईहां थकी जिन वेगळा, सहस्र तेत्रीस शत ऐक; सत्तावन जोजन वळी, सत्तर कळा सुविशेष. ३ द्रव्यथको जिन वेगळा, भावयो हृदय मोझारः बिहु काळे वंदन करु, श्वास माहे सो वार. ४ श्री सीमन्चर जिनवरु ए, पूरे वांछित कोड, कान्तिविजय गुरु प्रणमतां, भक्ति वे करजोड. ५ For Private And Personal Use Only (८) पहेला प्रणमु विहरमान, श्री सीमन्धर देवः पूर्व दिशे ईशान खूणे, बंदु हुं नित्यमेव. १ पुक्खलाई विजय तिहां, पु उरोकियो नयरी श्री श्रेयांस राजा भलो, जीत्या सबी वयरी. २ देहमान धनुष्य पांचशे, माता सत्य की नंद; रुक्मणि राणी नाहो वृषभ लंछन जिन चंद ३ चौराशी लखपत्र आय, सोवन वरणी काय; चीश लाख पुरव कुमार वासेः तेन त्रेसठ राय ४ गणवर चौरासी का एः मुनिवर एकसो कोडो पंडित धोरविमल तणो, ज्ञानविमल कहे कर जोडों ५
SR No.008679
Book TitleUd Jare Panchi Mahavideh Mai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherSimandharswami Jain Mandir Khatu Mehsana
Publication Year
Total Pages263
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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