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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१६) बार दिवसना संलग्न आराधनमां नव दिवस प्रासुक जळ, रोटली, मगनी दाळ, तथा दूध आ चार द्रव्यथी एकासणा करवा अने छेल्ला त्रण दिवस उपवास करवा. जे आराधकथी उपवास न थता होय तेणे छेल्ला त्रण दिवस आयंत्रिल करवा. अनन्तानन्त परमतारकश्रीनो चित्रपट स्थापन करतां पहेलो भूमिशुद्धि प्रमुखना मन्त्रोथी भूमि अंग वस्त्रादि अभिमन्त्रित करवा. नमोऽहंत' करीने निम्नलिखित मन्त्र बोलतां दक्षिणा वर्तना क्रमे वासक्षेप करवा पूर्वक भूमि अद्धि करवी. ऐ रीते मन्त्र बोलीने बीजी अने त्रोजी वार वासक्षेपथी भूमिशुद्वि करवी. भूमिशुद्धिमन्त्र : ॐ भूरसि ! भूतधात्रि सर्वभूतहिते ! भूमिशुद्धिं कुरु कुरु स्वाहा ।। थाळी बगाडवी.. पछी 'नमोऽहत्' कहीने निन्मलिखित मन्त्र बोलतां अंजलिमां सर्व तीर्थानु पवित्र जळ छे ऐवु संकल्पिने मस्तकथी अभिषेक करी पगना तळिया सुघो स्नान करीने पवित्र गर्नु छ', ऐवो संकल्प करवो. शरीरशुद्ध : ॐ अमले विमले सर्व तीर्थजले पां पां वां यो अशुचिः शुचिर्भवामि स्वाहा ।। थाळी वगाडवी. __ पछी "नमोऽहन" कहीने निम्न लिखित मन्त्र बोलतां वस्त्र उपर हाथ फेरवतां वस्त्रशुद्ध करवी. वखशुद्धिमन्त्रः ॐ क्ष्वों क्यों पां पां वस्त्रशुद्धि करु करु स्वाहा ॥ थाळी वगाडवी .. अनन्तानन्त परमतारक देवाधिदेवथी प्रतिवोघायेल नवसो नवसो क्रोड, परंतु कुळपरम्पराथी चाल्यो आवतो परमाधिक श्रावक भाविकावर्ग अतिविशाळ होवाथी 'श्रावक संख्या न पामी' अने. 'नवसो कार्ड' ए बन्ने उक्तओ युक्तियुक्त सुसंगत छे. For Private And Personal Use Only
SR No.008679
Book TitleUd Jare Panchi Mahavideh Mai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherSimandharswami Jain Mandir Khatu Mehsana
Publication Year
Total Pages263
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size10 MB
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