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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८६८ नवपद पूजा. - मझार ।। ६ ॥ खरतरगच्छ जिन आणारंगी, राजसागर उवझाय ।। ज्ञान धर्म दीपचंद सुपाठक, सुगुरुतणे सुपसाय ॥ देवचंद्र जिनभक्तं गायो, जन्म महोत्सव छंद ॥ बोध बीज अंकूरो उल्लस्यो, संघ सकल आनंद ।। ७ ।। ॥कलश ॥ राग वेलावल ॥ ॥ एम पूजा भक्तं करो, आतमहितकाज ॥ तजीय विभाव निज भावमें, रमता शिवराज ॥ एम० ॥ १ ॥ काल अनंतें जे हुआ, होशे जेह जिणंद ॥ संपय सीमंवर प्रभु, केवलनाण दिणंद ॥ एम० ॥२॥ जन्ममहोत्सव एणी परे, श्रावक रुचिवंत ॥ विरचे जिन प्रतिमातणो, अनुमोदन खंत ॥ एम० ॥३॥ देवचंद्र जिन पूजना, करतां भवपार ॥ जिनपडिमा जिनसारखी, कही सूत्र मझार ॥ एम० ॥ ४ ॥ ॥अथ श्रीनवपदपूजा॥ अरिहंतपदपूजा ॥ ॥ ढाल ॥ उलालानी देशी ॥ ॥ तीर्थपति अरिहा नमुं, धर्म धुरंधर धीरो जी ॥ देशना अमृत वरसता, निजवीरज वड वीरो जी ॥१॥ उलाला॥ वरअखय निर्मल ज्ञानभासन, सर्व भाव प्रकाशता । निजशुद्ध श्रद्धा आत्मभावें, चरणथिरता वासता ॥ जिननाम कर्म For Private And Personal Use Only
SR No.008662
Book TitleShrimad Devchandra Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages670
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size9 MB
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