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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कर्मयन्थस्य टबार्थः ७१९ बंधक आधिकी बांधे. २५ नवरं-विशेष एटलो फेर छे जे बेन्द्री तथा असंज्ञि पर्याप्तो तेनो पाठ ते संख्यातगुणो कहेवो.॥५०॥ तोजइ जिट्ठो बंधो, संखगुणो देसविरयहस्सिअरो। सम्मचउ सन्निचउरो, ठिइबंधाऽणुकम संखगुणा ५१ ___ अर्थ-तेहथी प्रमत्त गुणठाणे वर्तमान ते मुनिपणामे उत्कृष्ट बंधक छे संख्यात गुणी स्थितिबांधे २६॥ केटलाएक सागर उंणी एक कोडाकोडीना बंधक छे, तेहथी देशविरति जघन्यबंधकनी संख्यातगुणी स्थिति वृद्धि तो थोडी छे ते परं स्थितिस्थानक कषायनी चोकडीना वध्या, माटे असंख्यातगुणा वधे छे ते माटे असंख्यातगुणपणे लीधी छे २७ । तेहथी देशविरति उत्कृष्ट बंधक असंख्यात गुणीबांधे २८ । तेहथी समकीतीना च्यार बोल कहेवा, तिहां समकिति पर्याप्तो जघन्य बंधक संख्यातगुणी बांधे २९ । तेहथी समकिती अपर्याप्त जघन्यबंधकने संख्यातगुणी बंधाय ३० । तेहथी समकिती अपयाप्तो उत्कृष्ट बंधक संख्यातगुणी बांधे ३१ । तेहथी समकिती अपर्याप्तो उत्कृष्टबंधक संख्यातगुणी ३२ । तेहथी समकिती पर्याप्तो उत्कृष्टबंधक अधिकी बांधे, तेहथी संज्ञी पर्याप्तो जघन्यबंधक संख्यातगुणी बांधे ३३ । तेहथी संज्ञी अपर्याप्तो जघन्यबंधक संख्यातगुणी बांधे ३४ । तेहथी संज्ञी अपर्याप्तो उत्कृष्टबंधक संख्यातगुणी बांधे ३५ । तेहथी संज्ञी पर्याप्तो उत्कृष्टबंधक संख्यातगुणी बांधे ३६ । एम स्थितिबंध संख्यातगुणा छे. ॥५१॥ सवाणवि जिट्ठठिई, असुहाजं साइ संकिलेसेणं । इअरा विसोहिओ पुण, मुत्तुं नरअमर तिरिआई ५२ For Private And Personal Use Only
SR No.008661
Book TitleShrimad Devchandra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages1084
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size15 MB
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