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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (१७) " श्रद्धास्पद धर्मबंधु वकील मोहनलालभाइ जोग ली० बालचरसे अमरचंद बोथरेका प्रणाम बहुत बहुत वंचियेगा, यहां कुशलमंगल है आप लोगोकी कुशल सदा चहाता हुं अपरंच समाचार वंचियेगा. आगु " श्रीमद देवचन्द्र " नामाग्रंथका मुद्रितांश आपने कृपापूर्वक भेजा सो पतितपावनि तिथि चैत्र शुकल त्रयोदशीके दिवस मुजे मिला था आपकी इस कृपाके तीये मै आपका आ जन्म ऋणी भया हुं, उपरोक्त ग्रंथका पहुंच समाचार में कलकते चले जानेसे फॉरन देनमे देरि मया आशा हे हमारा ए अपराध क्षमा करियेगा. ___ओर कलदिनमें कलकतेसे आया हुँ " विचारसार " ग्रंथ पहोचा सो जानियेगा, विकानेवाले श्रीपूज्यजी कहां है मालुम नही भया मालुम होनेसे उनको पत्र लिखकर सर्व वात पुछकर आपको लिखुगा. आगु-कमसेकम हजार पुस्तक छपवाइएगा ऐसा हमारा अनुमान था इसिसे १५१ पुस्तक भेजनेको लिखा था लिकन पुस्तक कम छपेगी तो पु. १५१ भेजनेकी जरुरत नहि है, पुस्तक छववानेके खर्च बापत रुपीया चार पांच रोजमे भेजेगे. श्रीमद्कृत समस्त ग्रंथादि छपानेके विचार है एक अक्षर मी छोडनेका इरादा नहि है लिखा सो वांचकर खुशी भये. पूज्याचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरजीसरिजी तपागच्छके होकर श्रीमद् देवचन्द्रजी महाराजके प्रति इतनी भक्ति रखते है इह इस कालमे अपूर्व है इस लिये श्रीआचार्य बुद्धिसागरसूरिजीके चरणमे वारंवार नमस्कार हो. For Private And Personal Use Only
SR No.008661
Book TitleShrimad Devchandra Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year
Total Pages1084
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Worship
File Size15 MB
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