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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मरते हैं? उत्तर- हे गौतम! मनुष्य पशु आदि के छोटे छोटे बच्चों के माता पिताओं को मारने वाले प्राणी के माता पिता बचपन में ही मर जाते हैं। (५३) प्रश्न- हे भगवन्! स्त्री पुरुष के परस्पर विरोध भाव किस कारण से होता है? उत्तर- हे गौतम! पूर्व भव में स्त्री भर्तार के परस्पर का प्रेम-भाव तुडा देने से वैर विरोध होता है। (५४) प्रश्न- हे भगवन्! मनुष्य पंगुला किस पाप से होता है? उत्तर- हे गौतम! पैरों से प्राणधारी जीवों को मसल (कुचल) कर मार देने से जीव पंगुला होता है। (५५) प्रश्न- हे भगवन्! मनुष्य के फोडे फुसी आदि किस पाप से होते हैं? उत्तर- हे गौतम! फलों के अन्दर मसाले भर भर कर भड़ीते किये हों __ तथा उन्हे तल भूज कर के हँस-हँस कर खाये हों उस मनुष्य के फोड़े फुसी होते हैं। (५६) प्रश्न- हे भगवन्! क्रोडों रूपये की सम्पति पाकर के भी उसके द्वारा सुख नहीं भोग सकता इसका क्या कारण है। उत्तर- हे गौतम! जिसने दान देकर अफसोस किया हो वह सम्पति मिलने पर भी सुख नहीं भोग सकता। (५७) प्रश्न- हे भगवन्! अनायास लक्ष्मी की प्राप्ति किस पुण्य से होती है? उत्तर- हे गौतम! गुप्त दान देने से अनायास अखूट लक्ष्मी मिलती है। (५८) प्रश्न- हे भगवन्! मनुष्य आँखों से मंजर किस पाप के फल से होता है? उत्तर- हे गौतम! जिसने पूर्व भव में सबको समदृष्टि से नहीं देखे हों वे ७७ For Private And Personal Use Only
SR No.008568
Book TitleGautam Nam Japo Nishdish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2001
Total Pages124
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size5 MB
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