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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir कष्ट होता है जिससे उपवास व्रत एकासना आदि उससे बिलकुल हो नहीं पाते इसका क्या कारण है ? उत्तर- हे गौतम! तपस्या घमण्ड करने से अर्थात ऐसा विचार करे कि मेरे सात सात आठ आठ रोज की तपस्या तो उपवास जैसे निकलती है । और मेरे लिए तपस्या करना बड़ा ही सरल है । दूसरे के लिए उपवास तक करना कठिन है । मेरे सामने दूसरा क्या तपस्या कर सकता है ? इस प्रकार का घमण्ड करने से उससे तपस्या नहीं होती है । (४८) प्रश्न- हे भगवन् ! सूत्र सिद्धान्तों का ज्ञान महान् परिश्रम के साथ अभ्यास करने पर भी प्राप्त नहीं होता है इसका क्या कारण है ? उत्तर- हे गौतम! जिसने बहुत से सिद्धान्तों का ज्ञान संपादन कर घमण्ड किया हो उस मनुष्य को ज्ञान प्राप्त नहीं होता । (४९) प्रश्न- हे भगवन्! मनुष्य चाकरपने में किस पाप से पैदा होता है । उत्तर- हे गौतम! ऐश्वर्य का अर्थात् मैं अरबपति हूँ, मैं छत्रपति हूँ, मैं पृथ्वीपति हूँ, मैं सार्वभौम नरेन्द्र हूँ इस प्रकार ऐश्वर्य का घमंड करने से मनुष्य को चाकरपना ( दासवृति) प्राप्त होती है । (५०) प्रश्न- हे भगवन्! सुर, असुर, देव, दानव, इन्द्र और नरेन्द्रों के द्वारा मनुष्य पूजनिक किन शुभ कामों से होता है ? उत्तर - हे गौतम! जिसने मन, वचन और काया से शुद्ध भावना पूर्वक अखंड ब्रह्मचर्य पाला हो वह मनुष्य इन्द्र-नरेन्द्रों के द्वारा पूजनीय होता है ? (५१) प्रश्न- हे भगवन् ! चौदह पूर्व का सार क्या है ? उत्तर - हे गौतम! चौदह पूर्व का सार नमस्कार मन्त्र है । (५२) प्रश्न हे भगवन्! बाल वय ही में माता पिता किस पापोदय से ७६ For Private And Personal Use Only
SR No.008568
Book TitleGautam Nam Japo Nishdish
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharnendrasagar
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2001
Total Pages124
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size5 MB
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