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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १६३ घडीमा लागतुं मी, घडीमां थाय नहि दी, घडीमा चित्त आनंदे, घडीमां चित्तहुं फंदे. घडीमां क्रोधने माया, घडीमां ध्याननी छाया, घडीमां चित्त दिलगीरी, घडीमां वात अणधीरी. घडीमा ध्याननी वेळा, घडीमां मित्रना मेळा, घडीमां थाय धूळ धाणी, घडीमां थाय गुण खाणी. ॥ ५ ॥ घडीमां थाय छे सारु, घडीमां थाय अंधारु. astri अन्नने पाणी, घडीनी बात नहि जाणी. घडीमां वित्तने वाडी, घडीमां बेसवा गाडी, घडीमां रंकनी वेळा, गडीमां होय बगडेला. घडीमां चित्त हडकायुं, घडीमां चित्त छे डाहां, घडीमा तत्त्वनी वातो, घडीमां युद्धनी लातो. घडीमां थाय अणधार्यु, जीवन तो जाय छे हार्य, घडीमां वात छे खोटी, घडीमां वात छे मोटी. घडीना रंग छे न्यारा, समज ले दीलमां प्यारा, घडीना रंगमां गोटा, घडीना रंगमां छोटा. घडीमां ज्ञाननी बाजी, घडमां रंक ने काजी; बुद्धचब्धि ध्यानमां धीरा, विवेके जाणजो वीरा ॥ ११ ॥ For Private And Personal Use Only ॥ ३ ॥ 118 11 ॥ ६ ॥ ॥ ७ ॥ ॥ ८ ॥ ॥ ९ ॥ 11 30 11 मायापाशनी सजाय श्रीरे सिद्धाचल भेटवा - एराग माया. || १ || माया पाशमां जे पडया, दुःखिया जन ते तो; माया छे विषवेलडी, चित्त चेतन चेतो. मृगतृष्णावत् मोहथी, कदी थाय न शांति, संसारमा सुख नहि कदी, मिथ्या एह भ्रांति माया ॥२॥
SR No.008537
Book TitleBhajanpad Sangraha Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1908
Total Pages330
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Worship
File Size13 MB
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