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________________ श्रीबृहद् धारणायंत्र। ५२ राशिकुट :--- यदा सन्नाडी-सत्तारा- सद्यौनि-सद्गणाः खलु तदाराशिकूटःश्रेष्टः मध्यमग्रहयोरपि इत्थंघटकन्याकर्क मीनानांपंचमःसह मध्यमं शेषराशीनां शुभंतन्नवपंचमं (मध्यमपंचमैरन्य- राशीनांतुशुभावह) वर्गवरयंत्रः अक्षरा: वर्गः ! वैर वर्ग: अक्षराः ५३ पतिः पतिः + । सर्प गरुड बिडाल सिह श्वान अ इ उ ए ओ क ख ग घ ङ । च छ ज म भ | ट ठ ड ढ ण + + (त) | त थ द ध न । (प) प फ ब भ म (य) य र ल व (श)। श ष स ह लभ्यदेययंत्रः उदिर हरिया मेष + दाता ग्राहक दाता । ६७ 5 : वर्णक च । ट त । • no. 41 ० Sxuri य ॥ . | ॥ १ ॥ ट श० ।। १ १॥ २ . लम्बदेय ध्र वांकयंत्रः | वर्ग } अ क च ट ! त प य | श | १ पूर्ण: ; १ २ ३ ० १ २ ३ ० पूर्णांक २ उत्तरः ॥ १ ॥ २ २॥ : ३ ३॥ | विशिष्टांक : नामद्वयाद्याक्षरवर्गयोः ध्रुवांको एकीकृत्य चतुभिः विभाज्या: विशिष्टा: दिशोपका: प्रथमेनदेयाः। एवं परस्परं गणनीयं ॥ इति ॥
SR No.008459
Book TitleBruhad Dharana Yantra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshanvijay
PublisherCharitra Smarak Granthmala
Publication Year
Total Pages112
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Karma
File Size2 MB
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