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________________ ક્ छुहब्- हव-हवइ ( जुहोति ) निहवइ ( निजुहोति ) चु- चव्-चव - चवइ ( च्यवते ) रु-रव-रव-रवइ ( रौति ) कु - कव् - कव - कवइ ( कौति ) सू - सव् सव - सवई ( सुते ) पवई (प्रसूते ) • ऋत धातुना अंत्य ऋवर्णनो 'अर्' थाय छे: कु - कर्-कर - करइ (करोति ) धृ-धर्-घर-घर (वरति ) मृ-मर्मर-मर ( म्रियते ) ब्रु-वर्-वर-वरइ (वृणोति, वृणुते ) - सर सर सर (सरत ) ह - हर्-हर-हरइ ( हरति ) तृ-वर्-तर-तरइ ( तरति ) नृ - जर्जर - जरइ ( जीर्यति ) ५ उपांत्यमां ऋवर्णवाळा धातुना ऋवर्णनो ' अरि ' धाय छे: कृष-करिस्— करिस - करिसइ ( कर्षति ) मृष्- मरिस्-मरिसइ (मृष्यते ) तृष्-वरिस्-वरिसइ ( वर्षति ) हृष्- हरिस्- हरिसइ ( हृप्यति ) ६ धातुना 'इवर्ण' अने 'उवर्ण' नो अनुक्रमे 'ए' अने 'ओ' थाय छेः नी - नेइ ( नयति ) नेंति ( नयन्ति )
SR No.008425
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year1925
Total Pages456
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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