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________________ ३ नेत्रवाचक शब्दो तेनी खास जाति उपरांत नरजातिमां पण वपराय छे. ४ वचन, विद्युत्, कुल, छन्दस् माहात्म्य, दुःख अने भाजन वगेरे शब्दो पोत पोतानी खास जाति उपरांत नरजातिमां पण रहे छे. ५ गुण, देव, बिंदु, खड्ग, मण्डलाय, कररुह अने वृक्ष वगेरे शब्दो पोतानी जाति उपरांत नान्यतरजातिमां पण वपराय छे. ६ गरिमन्, महिमन् वगेरे · इमन् ' छेडावाळां नामोने अने पीणिमा (पीनत्व), पुप्फिमा ( पुष्पत्व ) वगेरे — इमा' छेडावाळां नामोने तेओनी खास जाति उपरांत नारीजातिमां पण समनवानां छे. ७ अञ्जलि, पृष्ठ, अक्षि, प्रश्न, चौर्य, कुक्षि, बलि, निधि, विधि, रश्मि अने प्रन्थि वगेरे नामो पोत पोतानी जाति उपरांत नारीजातिमां पण वपराय छे. वचन-विभक्तिओ गूजरातीनी पेठे प्राकृतमां द्विवचननो प्रयोग ज नथी, तेने बदले सर्वत्र बहुवचनी काम चलावाय छे अने । द्वित्व ' अर्थनी विशेष स्पष्टता माटे बहुवचनांत नामनी साथे तेना विशेषणरूपे विभक्त्यंत : द्वि' शब्दनो व्यवहार थाय छे. चतुर्थी अने षष्ठी ए बन्ने विभक्तिना प्रत्ययो एक सरखा होवार्थी चतुर्थी विभक्ति, षष्ठी विभक्तिमां समाई जाय छे तो पण कोइ स्थळे अर्थविशेषमा नाममात्रनुं चतुर्थीनुं एकवचन संस्कृतनी जेवू पण थतुं होवाथी ए बन्ने विभक्तिओने जदी जुदी गणावेली छे एथी विभक्तिओनी संख्यामां प्राकृत अने संस्कृतनी समानता छ,
SR No.008425
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year1925
Total Pages456
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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