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________________ १२३ नाम प्रकरण १० नामना प्रकारो संस्कृत भाषामां नामोना बे विभाग ले. जेमके-स्वरांत नाम अने व्यंजनांत नाम. पण प्राकृतभाषामा तेम नथी. कारण के, व्यंजनांत नाममात्र कोइ रीते स्वरांत थया सिवाय प्राकृतभाषामां प्रयोजातुं ज नथी, एथी प्राकृतमा बधां नामो स्वरांत होय छे माटे प्राकृत नामोनो विभाग आ प्रमाणे छः ___ अकारांत, आकारांत, इकारांत. ईकारांत, उकारांत, ऊकारांत, एकारांत अने ओकारांत. [ संस्कृत ऋकारांत नामो प्राकृतमा रूपाख्यानने प्रसंगे अकारांत, आकारांत, इकारांत के उकारांत थतां होवाथी एने उपरनी गणत्रीमां जूदां गण्या नथी. ] नामना अन्त्यस्वरनो फेरफार. १ . ग्रामणी,' खलपू' ए ज प्रकारना बीजा अनेक शब्दो ( सेनानी, सुधी; कारभू, कटपू वगेरे ) नो अन्त्य स्वर रूपाख्यानने प्रसंगे हस्व थाय छे. २ नान्यतरजातिमां वपरातां नामोनो अन्त्य दीर्घ स्वर हस्व थाय छे. नामनी जातिओ प्राकृत नामोनी जातिओ संस्कृत नामोनी जेवी छे. ने विशेषता छे ते आ प्रमाणे छः १ नकारांत अने सकारांत नामो प्राकृतमां नरजातिना गणाय छे. २ तरणि, प्रावृष् अने शरत् एत्रण नागो प्राकृतमां नरजातिमां
SR No.008425
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year1925
Total Pages456
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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