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________________ ९७ त्यदादि - अव्ययः अम्हे' एत्थ अम्हेत्थ | वयमत्र ] अव्यय - अव्ययः जइ एत्थ जइत्थ [ यद्यत्र ] अव्यय - त्यदादिः जइ अहं जइहं [ यद्यहम् ] जइ इमा जइमा [ यदीयम् ] व्यंजन संधि विसर्ग-भो ११ अकारथी पर आवेला ' विसर्ग 'नो ओ थाय छे:--- अग्रतः अग्गओ । अन्तः+विस्रम्भः=अंतोषी संभो । पुरत:-पुरओ | मनःशिला=मणोसिला | मार्गतः माओ | सर्वतः सव्वओ | म=अनुस्वार १२ पदने अंते रहेला मकारनो अनुस्वार थाय छे:गिरिम् = गिरिं । जलम् =जलं । फलम् = फलं । वृक्षम् = वच्छं | १३ स्वर पर रहेता अन्त्य 'म' नो अनुस्वार विकल्पे थाय छे: उसभम्+अजिअं=उसभं अजिअं, उसममजिअं [ऋषभमजितम् ] १ पालि प्र० सं० नि० १ (ख) पृ० ६५ - ते+अहं=तेहं | 1 २ कोई ठेकाणे डबल अनुस्वार थंई जाय छे. जेमके - वर्णामिवर्णमि ( वने ) प्रा. १३ é म्म' नी आदिमा रहेला 'म्' नो पण ३ जूओ पालि प्र० सं० पृ० ७७ यं आहुव्यमाहु ( यदाहुः ) धनं+एवनमेव |
SR No.008425
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year1925
Total Pages456
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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