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________________ • ११० अन्तः स्वरवृद्धि- नीचेना शब्दोमा चिह्नित संयुक्त व्यंजननी बच्चे नीचे जणाव्या प्रमाणे स्वरो उमराय छेः उमेरातो स्वरः अ 'अग्नि अगणी [ अम्गी ] अर्हन् अरहन्तो अरिहंतो, अरुहंतो । अ, इ, उ "अर्ह अरह, अरिह, अरुह । कृत्स्न: कसिणो । इ कृष्णः कसणो, कसिणो [ किण्हो ] अ, इ क्रिया: किरिया [ किया ] इ अ क्ष्मा चैत्यम् छद्म "ज्या तप्तः " द्वारम् द्वादश दिप्रया पद्मम् छमा । चेइअं । छउमं जीआ । तविओ दुवारं दुवालस। दिट्ठिआ । पउमं [ तत्तो ] [ दारं ] [ छम्मं ] उ [ पोम्मं ] 77 hr ५. ज्या जिया - ( पा० प्र० पृ० ४४- य इ ) ६ द्वारं दुवार, द्वार ( पा० प्र० पृ० ३२ टिप्पण ) ७ पा० प्र० प्र० ४९ - ( म= उम् - पद्मम् पदुमं ) I cry इ to b उ 151 इ उ १ अग्निः अग्गि, अग्गिनि, गिनि - ( पा० प्र० पृ० ४९ ) २ अहीं 'अहं' धातुनां बधां रूपी समजवानां छे. ३ कृत्स्नः कसिणो, किन् हो, सिणो- ( मा० प्र० पृ० ४७ ) ४ आ बन्ने पो वर्ण के रंग अर्थमां ज बपराय छे.
SR No.008425
Book TitlePrakrit Vyakarana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGujarat Puratattva Mandir Ahmedabad
Publication Year1925
Total Pages456
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size5 MB
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