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________________ आयादि गणित क्षेत्रकी लम्बाई चौडाईको गुनकर सत्ताईशसे विभाजित करते जो शेष रहे उसे निश्चयसे फल जानना (उस नक्षत्रकी मूल राश) उस फलको आठ गुने कर सत्ताईशसे विभाजित करनेसे जो शेष रहे उसे वास्तुके नक्षत्रका आंक समझना। ७-८. समचोरस ओर छ आंगुळ सुधीका कमीजास्तीका देवगण नक्षत्रो ओर शुभ आय मीलानेका कोष्टक अंक गज ओर आंगळका है। लंबाई चौडाई देवगणा | नक्षत्रो बाई चौडाई देवगणाबाई चौडाई देवगणा । नक्षत्रो । नक्षत्रो [१-७। १-१४०-२१ स्वाति •१-१३४१-१३ : अनुराधा). २-१५४२-१५ रेवती .१-१४ १-१ । मृगशीर्ष | १-१५४१-२१ । रेवती | २-१५४२-२१ , रेवती १-१४ १-५ श्रवण १-१९४२-१ पुण्य २-१७४२-११ : पुण्य १-१४१-७ । अनुराधा १-१९४१-२३ | श्रवण २-१९४३-१ मृगशीर्ष .१-२१४१-२१ : रेवती २-१९४२-२३ हस्त [१-१] ।१-३ १-२१४२-३ : रेवती २-२१४२-२३ । स्वाति १-३११-५१ रेवती २-१४२-५ । हस्त २-२३४२-२३ अनुराधा । १-९). • २-५४२-५ पुष्य ३-१४३-५ हस्त •१-५४१-५ मृगशीर्ष • २-७४२-७ : पुष्य ३-१४३-९ : रेवती १-५४१-९ । स्वाति २-७४२-११ : हस्त ३-३४३-७, स्वाती १-७४१-११ हस्त | २-१३४२-१७ , श्रवण ३-३४३-९ रेवती १-११४१-१७ : मृगशीर्ष २-१५४२-९ रेवती ३-५४३-९ : रेवती १-१३४१-१५ स्वाति १-१३४१-१७ : हस्त उपर प्रमाणे देवगणा नक्षत्रो और शुभ आय मीलानेके लीये बडा क्षेत्र गणीत ग. आ. ग. आ. ग. आ. मिलाना हो तो २-६ के ४-१२ के ६-१८ के नवगज उपरोक्त अंकमें मिलानेसे उपर लिखा वोहि देवगणा नक्षत्रो आयगा यह सरल रीत है।
SR No.008421
Book TitleKshirarnava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Art, & Culture
File Size13 MB
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