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________________ श्री विश्वकर्मा प्रणित क्षीरार्णव वास्तुशास्त्र ग्रंथकी विषयानुक्रमणिका क्रमांक अध्याय विषय भध्याय ९९ (क्रमांक अ० १) पत्र संख्या क्षीरार्णव वृक्षार्णवकी ग्रंथ रचना प्रासाद पुरुषाङ्ग कल्पना १ प्रासादकी चौद जाती ३ वास्तुद्रव्य और उनका फल नारद विश्वकर्मा संवाद प्रश्न वास्तुगणितका २१ अंश ५ से २७ अधिक गुण और अल्प दोषवाला वास्तु निर्दोष समझना २६-२७ आलेखन अष्टआय (६) नाडीचक्र (२०) २-१००--जगति लक्षण अध्याय (क्रमांक अ० २) जगति विस्तारमान-भ्रमणि-उदयमान सहस्त्रलिङ्ग-६४ योगिनी और जिनायतको अगति विशेष २८ से ३३ जगती उदयमें थर विभाग-आगे पगथि प्रतिहार और बलाणक मंडप-कक्षासन वेदिका देववाहनका मंडप ३७-५० आलेखनो-पंचायतन (३०) ५२-२४ जीनायतन (३१-३२) । जगतीउदय (३५) प्रतोल्या स्वरुप (३६) कक्षासन विभाग (३८) पीठ युक्त प्रतोल्या (३९) ३-१०१- अध्याय (क्रमांक अ० ३) कूर्मशिला निवेशनम् ४१ पाषाणकी कर्मशिलाका मान प्रमाण आकृति (४३) नौशिलाका नाम ४५ हेम सुवर्णका कूर्मप्रमाण-शिला स्थापनकी विधिक्रम देव शिल्पिपूजन ४७ आलेखन उमा महेश युग्म (५६) पंचमुख विश्वकर्मा (१४) वृषभहस्ति-३२ (५८) ४-१०२–अध्याय (क्रमांक अ० ४) भिट्टमान भिट्टमान प्रमाण और उनका त्रय भिट्ट विभाग और खरशिला यु. ५०-५१ . आलेखन-भिट्टत्रय-महापीठ (५०) प्रनाल मकरमुख (५१) ५-१०३–अध्याय (क्रमांक अ० ५) पीठमान प्रमाण १ पीठमान प्रमाण २ मंडोवरदयसे पीठमान-आया हुया पीठ मानसे आधा या तृतीय भाग पीठ नीयोजन स्थान मानसे करना ५३-५५ भालेखन-महापीठ-कामदपीठ और कर्णपीठ (५३) पीठ बाह्य प्रनाल चंदनाथ (५५) ६-१०४–अध्याय क्रमांक अ १ (प्रासादोदयमान प्रमाण) उभणी सांधार ५६ प्रासादके छाद्य नीचे दो जंघा (३) और पचास हस्तके प्रासादको बार जंघा करना (४) सांधार निरंधार प्रासादके भित्तिमान आलेखन सांधार प्रासादका महा मंडोवर (५७) वृषभयुग्म (६०)
SR No.008421
Book TitleKshirarnava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Art, & Culture
File Size13 MB
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