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________________ । सांधार मंदर प्रासाद ३ तलभाग ८ श्रृंग २५ मध केशरादि वैराज्यकूल प्रासादाधिकार २६९ સર્વ કામનાને આપનારું એવું અન્યશૃંગના સ્થાનરૂપ મંદિર નામનું ત્રીજું શિખર ५श्यीश अनु . १५-१६. अब पच्चीस शृंगका मन्दिर शिखर सुनो। ऊपर के अट्ठाई तलके चारों कणों पर केसरी कर्म (पाँच अंडक का) चढाना और भद्र पर एक एक इस तरह चार उरुशृंग चढाना और भद्रके कोने पर कूट चढाना । भद्रके बिचके गवाक्ष करना । इस सर्व कामना को देनेवाला ऐसा अन्य शृंगका स्थानरूप मंदिर नामका तीसरा शिखर पच्चीस अंडकका जानना। १५-१६. कर्ण शृङ्ग द्वितीयं च श्रीवत्सं सर्वकामदं । व सर्वे भद्रे उरुशृङ्गं अमृतोद्भव संज्ञकः ॥१७॥ મંદિર શિખરની રેખાયે એક બીજું શૃંગ ચડાવવાથી સર્વ કામનાને मासी भीमारमा नार याथु श्रीवत्स शिभर २८ . અંડકનું જાણવું. અને શ્રીવન્સ શિખરના ચારે ભદ્ર અંડક ઉરુગ્રંગ ચડાવવાથી ૩૩ અંડકનું અમૃતભવ નામનું પાંચમું શિખર જાણવું. ૧૭. मन्दिर शिखर की रेखापर एक दूसरा शृंग चढानेसे सर्व कामनाओं को देनेवाला चोथा श्रीवत्स शिखर २९ अंडकका जानना और श्रीवत्स शिखर के चारों भद्रके पर अंडक उरु,म चढाने से ३३ अंडकका अमृतोद्भव नामका शिखर पाँचवा जानना । १७. सर्वतोभद्रं च कर्णेषु भद्र शृङ्गततोष्टमि । हेमवर्ण च माक्षातं हेमकूटं च अतः शृणु ॥१८॥ मूल प्रतमें इन दिये हुए पाठोंको सुधारकर उपर ८ से ११ श्लोक क्रमबद्ध दिये गये है। उसी तरह आगे दि हुई विभक्ति तल और शृङ्ग संख्या और नामका क्रम बराबर मिलता है। उपरके चार श्लोक सुधारकर रखनेकी धृष्टता करनेके लिये विद्वानों हमको क्षमा करें ।... सांधार श्रीवत्स प्रासाद ४ तलभाग ८ श्रृंग २९ पिसे भांमार मामा मलभाग भए मिनिसावद विमान-शामाद
SR No.008421
Book TitleKshirarnava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Art, & Culture
File Size13 MB
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