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________________ माय मंडपाधिकार છે. તેમાં શુદ્ધ સંઘાટ (સમતલ) મિશ્ર સંધાટ ઊંચા નીચા તલવાળા ક્ષિપ્ત લટકતા કાલાવાળા ૪ ઉક્ષિપ્ત-ઉંચા ચડતા કાચલાના થરેવાળા એવા પ્રકારના અનેક વિતાને કહ્યા છે. મુખ્ય ત્રણ ભેદ છે. ૧૭–૧૮. __ अनेक प्रकारोंके वितानों-गुंबज विचित्र प्रकारके होते हैं। उसमें मुख्य तीन भेद हैं । १ क्षिप्त उक्षिप्त-अर्थात् काचलोंके थर उँचे चढ़कर और नीचे उतरे वैसा घाट २ समतल-समान छातिये जैसेकि पट्टकी तरह उसमें आकृतियोंको भी कोतरें । ३ उदितानी-अर्थात् कोल काचलेके ऊँचे ऊँचे चढ़ते थरोंका गुंबज इस तरह वितान छत गुंबजके त्रिविध प्रकार जानना । उसकी भिन्न भिन्न आकृतियाँ एक हजार एकसौ तेरहकी विविध छंदकी लुम मदलादिके प्रकारकी कही गई हैं । उसमें शुद्ध संघाट (समतल) २ मिश्र संघाट-ऊँचे नीचे तलवाले ३ क्षिप्त-लटकते काचलेवाले ४ उक्षिप्त-ऊँचे चढ़ते काचलेके थरोवाले ऐसे अनेक प्रकारके वितानों कहा हैं, मुख्य तीन भेद हैं । १७-१८. ЯКЕЗДЕ ЕКСКУКУКТVEXXXXXXXXх, кто काशलामालालाबालिकामावालपाली តថា -३३ भाग उपय-..... CAWORUSZAM ESTITKES WIKITENING जमालु HERE HERBापासमा -- वितान विस्तार माग प्रभाकर यति गजताल और कोलादि थरो युक्त वितान (गुम्बज) विस्तार भाग ६६ उदय भाग ३३ . बाहर उपर संवरणाके बदले सन्यासीके मस्तक जैसे गोल गुम्बज होने लगे। संवरणाकी रचना सुंदर है.। यद्यपि वैसा वर्तमान कालमें कुछ फेरफारके साथ संवरणा शिल्पकारों करते है। यह शुभ चिह्न है ।
SR No.008421
Book TitleKshirarnava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Art, & Culture
File Size13 MB
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