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________________ अथ मंडोवर थर विभाग ८५. दोदियेके पर भरणी बारह भागकी करना । उसमें नीचेसे एक भागके कंद सहित चिपिका करना | उसके पर डेद भागकी कणी करना | आधे भागकी घी करना । उसके उपर परिकर की तरह पल्लवोंको सात भाग में विचक्षण शिल्पी करें (नीचे कंद और उपरकी पट्टी के नीचे चिपली कणीके साथ ) रखना । उपरकी मुखपट्टी दो भागकी पट्टी उसके नीचे लटकते अशोक पल्लवपत्रोंके आकारका करना । वैसे स्वरूपकी बारह भागकी भरणी से सर्वकामानका फल मिलता है । २४-२५-२६. पहिका भाग -PATTIKA&XBHAR PUTTA KSHIRAWATI 14 शीरा वटी १६ LIKA 6 आरपुतली का शिरावटी भाग १४ शिरावटि चतुर्दशा भागमुच्छ्रय उच्यते । भारपुतलि षडांशेन तदर्थे पट्टिका स्तथा ||२७|| ભરણી ઉપર ચૌદ ભાગની શિરાવટી ઊંચી કહી છે. તેમાં છ ભાગની ભારપુત્તલીકા .ઉપર પટ્ટી वगेरे ४२वी. २७. भरणीके उपर चौदह भागकी शिरावटी ऊँची कही है | उसमें छः भागकी भारमुत्तलिका और उपर पट्टियाँ वगैरह करना । २७. सोमनाथजीका मंडोवरका उद्रम और मरणी
SR No.008421
Book TitleKshirarnava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrabhashankar Oghadbhai Sompura
PublisherBalwantrai Sompura
Publication Year
Total Pages416
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati, Art, & Culture
File Size13 MB
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