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________________ २४२ समयसार अथ कर्मणो मोक्षहेतुतिरोधानकरणं साधयति - वत्थस्स सेदभावो जह णासेदि मलमेलणासत्तो। मिच्छत्तमलोच्छण्णं तह सम्मत्तं खु णादव्वं ।।१५७।। वत्थस्स सेदभावो जह णासेदि मलमेलणासत्तो। अण्णाणमलोच्छण्णं तह णाणं होदि णादव्वं ।।१५८।। वत्थस्स सेदभावो जह णासेदि मलमेलणासत्तो । कसायमलोच्छण्णं तह चारित्तं पि णादव्वं ।।१५९।। वस्त्रस्य श्वेतभावो यथा नश्यति मलमेलनासक्तः। मिथ्यात्वमलावच्छन्नं तथा सम्यक्त्वं खलु ज्ञातव्यम् ।।१५७।। वस्त्रस्य श्वेतभावो यथा नश्यति मलमेलनासक्तः। अज्ञानमलावच्छन्नं तथा ज्ञानं भवति ज्ञातव्यम् ।।१५८।। वस्त्रस्य श्वेतभावो यथा नश्यति मलमेलनासक्तः। कषायमलावच्छन्नं तथा चारित्रमपि ज्ञातव्यम् ।।१५९।। ज्ञानस्य सम्यक्त्वं मोक्षहेतुः स्वभावः परभावेन मिथ्यात्वनाम्ना कर्ममलेनावच्छन्नत्वात्तिरोधीयते, परभावभूतमलावच्छन्नश्वेतवस्त्रस्वभावभूतश्वेतस्वभाववत् । (हरिगीत ) ज्यों श्वेतपन हो नष्ट पट का मैल के संयोग से। सम्यक्त्व भी त्यों नष्ट हो मिथ्यात्व मल के लेप से ।।१५७।। ज्यों श्वेतपन हो नष्ट पट का मैल के संयोग से । सद्ज्ञान भी त्यों नष्ट हो अज्ञानमल के लेप से ।।१५८।। ज्यों श्वेतपन हो नष्ट पट का मैल के संयोग से । चारित्र भी त्यों नष्ट होय कषायमल के लेप से ।।१५९।। जिसप्रकार कपड़े की सफेदी मैल के मिलने से नष्ट हो जाती है, तिरोभूत हो जाती है; उसीप्रकार मिथ्यात्वरूपी मैल से लिप्त होने पर सम्यक्त्व तिरोहित हो जाता है - ऐसा जानना चाहिए। जिसप्रकार कपड़े की सफेदी मैल के मिलने से नष्ट हो जाती है, तिरोभूत हो जाती है; उसीप्रकार अज्ञानरूपी मैल से लिप्त होने पर ज्ञान तिरोभूत हो जाता है - ऐसा जानना चाहिए। जिसप्रकार कपड़े की सफेदी मैल के मिलने से नष्ट हो जाती है, तिरोभूत हो जाती है; उसीप्रकार कषायरूपी मैल से लिप्त होने पर चारित्र तिरोभूत हो जाता है - ऐसा जानना चाहिए। आत्मख्याति में इन गाथाओं का भाव इसप्रकार स्पष्ट किया गया है - “जिसप्रकार परभावरूप मैल से व्याप्त होता हुआ श्वेत वस्त्र का स्वभावभूत श्वेतस्वभाव तिरोभूत हो जाता है; उसीप्रकार मोक्ष का कारणरूप ज्ञान का सम्यक्त्व स्वभाव परभावरूप मिथ्यात्व नामक कर्मरूपी मैल के द्वारा व्याप्त होने से तिरोभूत हो जाता है।
SR No.008377
Book TitleSamaysar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size1 MB
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