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________________ १८८ समयसार इन चार प्रत्ययों को तेरह गुणस्थान के रूप में विभाजित कर सकते हैं । अतः यहाँ कहा गया है कि मिथ्यात्व से सयोगकेवली पर्यन्त जो तेरह गुणस्थान हैं, वे भी इन चारों प्रत्ययों के कारण बन हैं। अत: इन तेरह गुणस्थानों को भी बंध का कर्ता कहा जा सकता है। कहा क्या जा सकता है, इन गाथाओं में उन्हें बंधकर्ता कहा गया है और उनका नाम संक्षेप में 'गुण' ही रखा है। अतः इन गाथाओं की अन्तिम पंक्ति में कहा गया है कि गुण ही कर्म करते हैं, अतः भगवान आत्मा अकर्ता है। न च जीवप्रत्यययोरेकत्वम् - जह जीवस अणणुवओगो कोहो वि तह जदि अणण्णो । जीवस्साजीवस्स य एवमणण्णत्तमावण्णं । ।११३ ।। एवमिह जो दु जीवो सो चेव दुणियमदो तहाऽजीवो । अयमेयत्ते दोसो पच्चयणोकम्मकम्माणं । । ११४ । । अह दे अण्णो कोहो अण्णुवओगप्पगो हवदि चेदा । जह कोहो तह पच्चय कम्मं णोकम्ममवि अण्णं ।। ११५ ।। यथा जीवस्यानन्य उपयोगः क्रोधोऽपि तथा यद्यनन्यः । जीवस्य जीवस्य चैवमनन्यत्वमापन्नम् ।।११३।। एवमिह यस्तु जीव: स चैव तु नियमतस्तथाऽजीवः । अयमेकत्वे दोष: प्रत्ययनोकर्मकर्मणाम् ।। ११४ ।। अथ ते अन्य: क्रोधोऽन्यः उपयोगात्मको भवति चेतयिता । यथा क्रोधस्तथा प्रत्ययाः कर्म नोकर्माप्यन्यत् । । ११५ ।। T ध्यान रहे, यहाँ 'गुण' शब्द का अर्थ गुणस्थान ही समझना, ज्ञानादि गुण नहीं । तात्पर्य यह है कि ज्ञानादि गुण बंध के कारण नहीं हैं, गुणस्थान बंध के कारण हैं। जब भगवान आत्मा बंध का कर्ता नहीं है तो वह कर्म का भोक्ता भी नहीं है; क्योंकि जो कर्ता होता है, भोक्ता भी वही होता है । इन गाथाओं में एक बात यह भी कही गई है कि अचेतन पौद्गलिक कर्मों के उदय उत्पन्न होने के कारण ये गुणस्थान भी अचेतन हैं, पुद्गल हैं और ये ही बंध के कर्ता-भोक्ता हैं। अब आगामी गाथाओं में यह बताया जा रहा है कि विगत गाथाओं में जिन मिथ्यात्वादि प्रत्ययों को या गुणस्थानरूप प्रत्ययों को बंध का कारण बताया गया है; उन प्रत्ययों और कर्म-नोकर्म से भगवान आत्मा अत्यन्त भिन्न ही है । उत्थानिका में अत्यन्त स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि जीव और प्रत्ययों में एकत्व नहीं है । गाथाओं का पद्यानुवाद इसप्रकार ( हरिगीत ) -
SR No.008377
Book TitleSamaysar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2006
Total Pages646
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size1 MB
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