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________________ EFF नग्नता से नफरत करने का अर्थ है कि हमें अपना निर्विकारी होना पसंद नहीं है। पर ध्यान रहे, तन की नग्नता के साथ मन की नग्नता होनी ही चाहिए, अन्यथा कोई लाभ नहीं होगा। नग्नता कलंकित ही होगी। इसलिए तो कहा है - "सम्यग्ज्ञानी होय बहुरि दृढ़ चारित लीजे।" जिनागम के सिवाय अन्य जैनेतर शास्त्रों एवं पुराणों में भी दिगम्बर मुनियों के उल्लेख मिलते हैं - रामायण के सर्ग १४ के २२ वें श्लोक में राजा दशरथ निर्ग्रन्थ श्रमणों को आहार देते बताये गये हैं। भूषण की टीका में श्रमण का अर्थ दिगम्बर मुनि किया है। श्रीमद्भागवत और विष्णु पुराण में ऋषभदेव का दिगम्बर मुनि के रूप में ही उल्लेख है। वायुपुराण एवं स्कन्ध पुराण में भी दिगम्बर मुनि का अस्तित्व दर्शाया गया है। ईसाई धर्म में भी दिगम्बरत्व को स्वीकार करते हुए कहा गया है कि "आदम और हव्वा" नग्न रहते हुए कभी नहीं लजाये। इसप्रकार हम देखते हैं कि इतिहास एवं इतिहासातीत श्रमण एवं वैष्णव साहित्य में यहाँ तक कहा गया है कि दिगम्बर हुए बिना मोक्ष की साधना एवं कैवल्यप्राप्ति संभव नहीं है। अत: नग्नता से नफरत करना, घ्रणा करना अपने ही धर्म, संस्कृति, पुरातत्त्व एवं सत्य से घ्रणा करना है। 000
SR No.008374
Book TitleSalaka Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2004
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size765 KB
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