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________________ FREE FOR गौतम स्वामी द्वारा कहे गये ६३ शलाका पुरुष के कथानकों के ६३ अधिकार अवश्य हैं, पर उसमें | अवान्तर अधिकारों का विस्तार अमर्यादित है। गौतम स्वामी कहते हैं कि - "हमारे पीछे हमारे ही समकक्ष सुधर्माचार्य इस कथानक को पूर्णरूप से प्रकाशित करेंगे। उनसे यह सम्पूर्ण कथा जब जम्बू स्वामी सुनेंगे और वे अन्तिम अनुबद्ध केवली होकर इस लोक में उसका पूर्ण प्रकाश करेंगे। इस समय में मैं, सुधर्माचार्य और जम्बूस्वामी - तीनों ही पूर्ण श्रुतज्ञान को धारण करनेवाले हैं। हम तीनों ही केवलज्ञान प्राप्त कर मुक्त हो जायेंगे।" इस ‘शलाका पुरुष' के कथानक का पठन-पाठन और सुनने-सुनाने की महिमा का मूल्यांकन करते हुए गणधर एवं आचार्य स्वयं कहते हैं कि - "जब पंचपरमेष्ठियों का नाम लेना ही जीवों को कल्याणकारी होता है तो बारम्बार उनकी कथारूप अमृत का पान करने/कराने का तो कहना ही क्या है।" 'पानी पीजे छानकर, मित्र कीजे जानकर' - यह लोकोक्ति बताती है कि यदि बीमारियों से बचना चाहते हो तो पानी सदैव छानकर ही पीओ और यदि विपत्तियों से बचना चाहते हो तो मित्र बनाने के पहले मनुष्य को अच्छी तरह से परख लो; क्योंकि दुनिया में ऐसे मतलबी मित्रों की कमी नहीं है, जो केवल स्वार्थ के ही साथी होते हैं, सम्पत्ति के ही संगाती होते हैं, विपत्ति पड़ने पर साथ छोड़कर भाग जाते हैं, अपने मतलब के लिए मित्रों को मुसीबत में डालने से भी नहीं झिझकते और समय-समय पर मित्र की कमजोरियों का अनुचित लाभ उठाने से भी नहीं चूकते। संस्कार, पृष्ठ-५६
SR No.008374
Book TitleSalaka Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2004
Total Pages278
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size765 KB
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