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________________ गाथा सूची ५७७ गाथा गाथा लोगालोगेसु णभो २४५ पृष्ठ ४७७ २१६ १३२ २०८ १०२ २४१ २७३ ५०९ २८८ वण्णरसगंधफासा वदसमिदिदियरोधो वदिवददो तं देसं वंदणणमंसणेहि विसयकसाओगाढो वेजावच्चणिमित्तं २४७ १५८ ३१५ १९८ २५३ २३५ ८२ १८६ KWKo wwwU UW २८४ समणा सुद्धवजुत्ता समवेदं खलु दव्वं २७५ समसत्तुबंधुवग्गो ४०६ सम्मं विदिदपदत्था सयमेव जहादिच्चो ४७९ सव्वगदो जिणवसहो सव्वाबाधविजुत्तो ४८६ सव्वे आगमसिद्धा सव्वे वि य अरहंता संपजदि णिव्वाणं १६८ २०६ सुत्तं जिणोवदिठं २२७ सुद्धस्स य सामण्णं ३०३ सुविदिदपयत्थसुत्तो ३६४ सुहपरिणामो पुण्णं ३५० सेसे पुण तित्थयरे १२७ सोक्खं वा पुण दुक्खं १९४ सोक्खं सहावसिद्ध २८६ हवदि व ण हवदि ३९३ हीणो जदि सो आदा ३४ स इदाणिं कत्ता सत्तासंबद्धेदे सदवट्ठिदं सहावे सद्दव्वं सच्च गुणो सपदेसेहिं समग्गो सपदेसो सो अप्पा सपदेसो सो अप्पा सपरं बाधासहिद सम्भावो हि सहावो समओ दु अप्पदेसो समणं गणिं गुणड्ढे w ० ००० ०. ०० १०७ १४५ १ १८८ १७८ ar २१९ १३८ २०३ २५ असफलता के समान सफलता का पचा पाना भी हर एक का काम नहीं है। जहाँ असफलता व्यक्ति को, समाज को हताश, निराश, उदास कर देती है, उत्साह को भंग कर देती है; वहीं सफलता भी संतुलन को कायम नहीं रहने देती। वह अहंकार पुष्ट करती है, विजय के प्रदर्शन को प्रोत्साहित करती है। कभी-कभी तो विपक्ष को तिरस्कार करने को भी उकसाती नजर आती है। पर सफलता-असफलता की ये सब प्रतिक्रियाएँ जनसामान्य पर ही होती हैं, गंभीर व्यक्तित्ववाले महापुरुषों पर इनका कोई प्रभाव लक्षित नहीं होता । वे दोनों ही स्थितियों में सन्तुलित रहते हैं, अडिग रहते हैं। -- सत्य की खोज, पृष्ठ-२३३
SR No.008367
Book TitlePravachansara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2008
Total Pages585
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size3 MB
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