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________________ ५२० प्रवचनसार कहाँ मिलना चाहता है, कब मिलना चाहता है और क्यों मिलना चाहता है ? इन चार प्रश्नों का उत्तर पाये बिना न तो आप कोई उत्तर ही दे सकते हैं और न आपकी जिज्ञासा ही शान्त हो सकती है; क्योंकि मिलनेरूप क्रिया की सम्पन्नता के लिए इन जिज्ञासाओं का समाधान अपेक्षित ही नहीं, अनिवार्य है। इन प्रश्नों का उत्तर पाये बिना आप 'हाँ और 'ना' कुछ भी तो न कह सकेंगे। 'हाँ और 'ना' कहने के लिए इन चारों का जानना अत्यन्त आवश्यक है। कमश: प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के आधार पर आप मिलने न मिलने का निर्णय करेंगे। कौन मिलना चाहता है - इस प्रश्न के उत्तर में यदि यह कहा जाय कि बाँझ का बेटा आपसे मिलना चाहता है तो आप मुस्करा कर कहेंगे :- क्यों मजाक करते हो ? बाँझ के बेटे का इस लोक में गुणपर्यायरूप अस्तित्व ही नहीं है तो फिर उससे कैसे मिला जा सकता है ? यदि यह कहा जाय कि आपसे सीमन्धर भगवान मिलना चाहते हैं तो भी आप कहेंगे कि उनकी गण-पर्यायमय सत्ता तो है. पर इस क्षेत्र में जब वे हैं ही नहीं तो फिर उनसे मिलना कैसे संभव है ? कुन्दकुन्दाचार्य तो गुणपर्यायरूप वस्तु हैं एवं भरतक्षेत्र के ही आचार्य हैं, वे आपसे मिलना चाहते हैं - यदि यह कहा जाय तब भी आप यही कहेंगे कि इस समय वे यहाँ कहाँ हैं? यदि यह कहा जाय कि आपसे राजीव गाँधी मिलना चाहते हैं तो भी आप यही कहेंगे कि आखिर क्यों ? उनको मेरे से क्या अपेक्षा हो सकती है ? वर्तमान में मैं उनके क्या काम आ सकता हूँ? जिसप्रकार मिलनेवाले व्यक्ति, मिलने का स्थान, मिलने का समय और मिलने का प्रयोजन स्पष्ट हुए बिना मिलना संभव नहीं होता; उसीप्रकार स्वद्रव्य-क्षेत्र-काल-भावरूप स्वचतुष्टय के स्पष्ट हुए बिना वस्तु का स्वरूप स्पष्ट नहीं होता, वस्तु का अस्तित्व ही सिद्ध नहीं होता। स्वद्रव्य-क्षेत्र-काल-भावरूप स्वचतष्टय ही भगवान आत्मा का अस्तित्व है - इसी बात को नयों की भाषा में इस रूप में कहा जाता है कि अस्तित्वनय से भगवान आत्मा अस्तित्ववाला है। स्वचतुष्टय ही भगवान आत्मा का अस्तित्वधर्म है और आत्मा के उस अस्तित्वधर्म को अथवा अस्तित्वधर्म की मुख्यता से अनन्तधर्मात्मक आत्मा को विषय बनानेवाला नय ही अस्तित्वनय है।
SR No.008367
Book TitlePravachansara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2008
Total Pages585
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size3 MB
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