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________________ ३६८ प्रवचनसार होता है; पर के कारण नहीं, कर्मादि के कारण भी नहीं। यदि इसमें पर की कारणता स्वीकार की जायेगी तो फिर अत्मा इनका कर्ता-भोक्ता भी नहीं रहेगा; क्योंकि स्वतंत्र: कर्ता - कर्ता कहते ही उसे हैं; जो अपने परिणमन में स्वतंत्र हो । पर से निरपेक्षता ही इसकी शुद्धता है, स्वतंत्रता है। यही बताने के लिए इसे शुद्धनिश्चयनय का कथन कहा गया है। जिस द्रव्य की जो परिणति हो, उस परिणति को उसी द्रव्य की कहना शुद्धनिश्चयनय है और उस परिणति को अन्य द्रव्य की कहना अशुद्धनिश्चयनय अर्थात् व्यवहारनय है। उक्त परिभाषा के अनुसार रागादिभाव जीवद्रव्य की परिणति है; अत: उसे जीव की परिणति कहना ही सत्य है, इसकारण यह निश्चयनय है और पर से भिन्नता और अपने से अभिन्नता ही शुद्धता है; इसकारण यह कथन शुद्धनय है; इसप्रकार रागादि का स्वामी, कर्ता-भोक्ता आत्मा को कहना शुद्धनिश्चयनय का कथन है।।१८९।। विगत गाथा में निश्चय और व्यवहार में अविरोध दिखाने के उपरान्त अब इन गाथाओं में अशुद्धनय से अशुद्धात्मा और शुद्धनय से शुद्धात्मा की प्राप्ति होती है - यह बताते हैं। अथाशुद्धनयादशुद्धात्मलाभ एवेत्यावेदयति। अथ शुद्धनयात्शुद्धात्मलाभ एवेत्यवधारयति - ण चयदि जो दु ममत्तिं अहं ममेदं ति देहदविणेसु। सो सामण्णं चत्ता पडिवण्णो होदि उम्मग्गं ।।१९०।। णाहं होमि परेसिं ण मे परे संति णाणमहमेक्को । इदि जो झायदि झाणे सो अप्पाणं हवदि झादा ।।१९१।। न त्यजति यस्तु ममतामहं ममेदमिति देहद्रविणेषु । स श्रामण्यं त्यक्त्वा प्रतिपन्नो भवत्युन्मार्गम् ।।१९०।। नाहं भवामि परेषां न मे परे सन्ति ज्ञानमहमेकः। इति यो ध्यायति ध्याने स आत्मा भवति ध्याता ।।१९१।। यो हि नाम शुद्धद्रव्यनिरूपणात्मकनिश्चयनयनिरपेक्षोऽशुद्धद्रव्यनिरूपणात्मकव्यवहारनयोपजनितमोहः सन् अहमिदं ममेदमित्यात्मात्मीयत्वेन देहद्रविणादौ परद्रव्ये ममत्वं न जहाति स खलु शुद्धात्मपरिणतिरूपं श्रामण्याख्यं मार्गं दूरादपहायाशुद्धात्मपरिणतिरूपमुन्मार्गमेव प्रतिपद्यते। अतोऽवधार्यते अशुद्धनयादशुद्धात्मलाभ एव ।।१९०।। गाथाओं का पद्यानुवाद इसप्रकार है - (हरिगीत) तन-धनादि में 'मैं हूँ यह' अथवा 'ये मेरे हैं' सही।
SR No.008367
Book TitlePravachansara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2008
Total Pages585
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Religion
File Size3 MB
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