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________________ अब हम क्या चर्चा करें? "स्वामीजा किसा से कोई चर्चा नहीं करते, वे किसी की बात भी नहीं सुनते, अपनी ही कहे जाते हैं।" - इसप्रकार की चर्चा आज बुद्धिपूर्वक जोरों पर चलाई जा रही है। उक्त संदर्भ में स्वामीजी के विचार समाज तक पहुँचे, इस पवित्र उद्देश्य से सम्पादक आत्मधर्म द्वारा दिनांक २७.६.७७ को सोनगढ़ में स्वामीजी से लिया गया इन्टरव्यू आत्मधर्म के जिज्ञासु पाठकों की सेवा में प्रस्तुत है। अब हम क्या चर्चा करें? कभी किसी से वाद-विवाद किया ही नहीं । २२ की उम्र में घर छोड़ा था, आज ६६ वर्ष होने को आए। २३ वर्ष स्थानकवासी सम्प्रदाय में रहे, ४३ वर्ष दिगम्बर धर्म स्वीकार किए हो गए। आज तक तो किसी से विवाद किया नहीं। अब..." बीच में ही टोकते हुए जब मैंने कहा - "इसमें क्या है ? यदि अब तक नहीं किया जो न सही, पर यही चर्चा करने से तत्त्व का सही निर्णय हो जावे तो चर्चा करने में क्या हर्ज है?" तब अत्यन्त गम्भीरता से बोले - “तत्त्वनिर्णय वादविवाद से नहीं होता। तत्त्वनिर्णय दिगम्बर जिनवाणी के अध्ययन, मनन, चिन्तन एवं आत्मा के अनुभव से होता है। कविवर पण्डित बनारसीदासजी ने कहा है न - सद्गुरु कहें सहज का धंधा, वाद-विवाद करे सो ध खोजी जीवे वादी मरे, ऐसी सांची कहावत है।' नियमसार परमागम में आचार्य कुन्दकुन्द भी कहते हैं - णाणाजीवाणाणाकम्मंणाणाविहं हवेलद्धी। तम्हावयणविवादंसगपरसमएहिंवज्जिजो।।१५६।। जगत में नाना प्रकार के जीव हैं, उनकी नाना प्रकार की लब्धियाँ हैं और उनके नाना प्रकार के कर्म हैं; इसलिए चाहे वह स्वमत का हो या परमत का, किसी के साथ भी १. बनारसी विलास, पृष्ठ : २०३ "अब हम क्या चचा करें ?" उक्त शब्द पूज्य कानजी स्वामी ने तब कहे तब उनसे कहा गया कि आपसे कुछ लोग चर्चा करना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि आप जो प्रतिपादन करते हैं, उसके सम्बन्ध में उभयपक्षीय चर्चा करके सत्यासत्य का निर्णय किया जाय। अपनी बात को स्पष्ट करते हुए स्वामीजी बोले"भाई ! अब हम किसी से क्या चर्चा करें ? हमने तो (16)
SR No.008346
Book TitleChaitanya Chamatkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year2007
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size204 KB
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