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________________ ५३० Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates समयसार यदहमकार्षं, यदचीकरं, यत्कुर्वन्तमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं, मनसा च वाचा च कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति १ । यदहमकार्षं, यदचीकरं, यत्कुर्वन्तमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं, मनसा च वाचा च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति २ । यदहमकार्षं, यदचीकरं, यत्कुर्वन्तमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं, मनसा च कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ३। यदहमकार्षं, यदचीकरं, यत्कुर्वन्तमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं, वाचा च कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ४ । यदहमकार्षं, यदचीकरं, यत्कुर्वन्तमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं, मनसा च तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ५। यदहमकार्षं, यदचीकरं, यत्कुर्वन्तमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं, वाचा च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ६ । यदहमकार्षं, यदचीकरं, यत्कुर्वन्तमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं, कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ७ । यदहमकार्षं, यदचीकरं, मनसा च वाचा च कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति ८ । यदहमकार्षं, यत्कुर्वन्तमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं, मनसा च वाचा च कायेन च, तन्मिथ्या दुष्कृतमिति ९। यदहमचीकरं, यत्कुर्वन्तमप्यन्यं समन्वज्ञासिषं मनसा च वाचा च कायेन च, तन्मिथ्या मे दुष्कृतमिति १० । 9 जो मैंने (अतीतकाल में कर्म) किया, कराया और दूसरे करते हुए का अनुमोदन किया, मनसे, वचनसे तथा कायसे, यह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो। (कर्म करना, कराना और अन्य करनेवालेका अनुमोदन करना वह संसारका बीज है यह जानकर उस दुष्कृत के प्रति हेयबुद्धि आई तब जीव ने उसके प्रति ममत्व छोड़ा, यही उसका मिथ्या करना है ) । १ । जो मैंने (अतीतकाल में कर्म) किया, कराया और अन्य करते हुए का अनुमोदन किया, मनसे तथा वचनसे, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो । २। जो मैंने (पूर्वे में) किया, कराया और अन्य करते हुए का अनुमोदन किया, मनसे तथा कायासे, यह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो । ३ । जो मैंने ( पूर्वेमें) किया, कराया और अन्य करते हुए का अनुमोदन किया, वचनसे तथा कायासे, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो । ४ । जो मैंने (अतीतकाल में ) किया, कराया और अन्य करते हुए का अनुमोदन किया, मनसे, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो । ५ । जो मैंने (पूर्वेमें) किया, कराया और अन्य करते हुएका अनुमोदन किया, वचनसे, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो । ६ । जो मैंने (पूर्वेमें) किया, कराया और अन्य करते हुए का अनुमोदन किया, कायासे, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो । ७ । जो मैंने (पूर्वेमें) किया और कराया मनसे, वचनसे तथा कायासे, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो । ८। जो मैंने (पूर्वेमें) किया और अन्य करते हुए का अनुमोदन किया मनसे, वचनसे तथा कायासे, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो । ९ । जो मैंने (पूर्वमैं ) कराया और अन्य करते हुए का अनुमोदन किया मनसे, वचनसे तथा कायासे, वह मेरा दुष्कृत मिथ्या हो। १० । Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com
SR No.008303
Book TitleSamaysara
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorParmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Spiritual
File Size3 MB
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