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________________ Version 001: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates समयसार १२४ ( वसंततिलका) जीवादजीवमिति लक्षणतो विभिन्नं ज्ञानी जनोऽनुभवति स्वयमुल्लसन्तम्। अज्ञानिनो निरवधिप्रविजृम्भितोऽयं मोहस्तु तत्कथमहो बत नानटीति।।४३ ।। नानट्यतां तथापि (वसन्ततिलका) अस्मिन्ननादिनि महत्यविवेकनाट्ये वर्णादिमान्नटति पुद्गल एव नान्यः। रागादिपुद्गलविकारविरुद्धशुद्धचैतन्यधातुमयमूर्तिरयं च जीवः ।। ४४ ।। श्लोकार्थ:- [इति लक्षणतः ] यों पूर्वोक्त भिन्न लक्षणके कारण [ जीवात् अजीवम् विभिन्नं] जीवसे अजीव भिन्न है [ स्वयम् उल्लसन्तम् ] उसे (अजीवको) अपने आप ही ( -स्वतंत्रपने, जीवसे भिन्नपने) विलसित होता हुआ-परिणमित होता हुआ [ ज्ञानी जनः] ज्ञानीजन [अनुभवति] अनुभव करते हैं, [ तत् ] तथापि [अज्ञानिनः ] अज्ञानीको [ निरवधि-प्रविजृम्भित: अयं मोह: तु] अमर्यादरूपसे फैला हुआ यह मोह (अर्थात् स्वपरके एकत्वकी भ्रान्ति) [ कथम् नानटीति] क्यों नाचता है - [अहो बत] यह हमें महा आश्चर्य और खेद है!। ४३। अब पुनः मोहका प्रतिषेध करते हुए कहते हैं कि यदि मोह नाचता है तो नाचो ? तथापि ऐसा ही है ': श्लोकार्थ:- [अस्मिन् अनादिनि महति अविवेक-नाटये] इस अनादि कालीन महा अविवेकके नाटकमें अथवा नाचमें [वर्णादिमान् पुद्गलः एव नटति] वर्णादिमान पुद्गल ही नाचता है, [न अन्यः ] अन्य कोई नहीं; ( अभेद ज्ञानमें पुद्गल ही अनेक प्रकारका दिखाई देता है, जीव अनेक प्रकारका नहीं है; [च] और [अयं जीवः ] यह जीव तो [ रागादि-पुद्गल-विकार-विरुद्ध-शुद्ध-चैतन्यधातुमय-मूर्तिः] रागादिक पुद्गल-विकारोंसे विलक्षण, शुद्ध चैतन्यधातुमय मूर्ति है। भावार्थ:-रागादि चिद्विकारको (-चैतन्यविकारोंको) देखकर ऐसा भ्रम नहीं करना कि ये भी चैतन्य ही है, क्योंकि चैतन्यकी सर्व अवस्थाओंमें व्याप्त हों तो चैतन्यके कहलायें। रागादि विकार सर्व अवस्थाओंमें व्याप्त नहीं होते-मोक्षअवस्थामेंउनका अभाव है। और उनका अनभव भी आकलतामय दःखरूप है। इसलिये वे चेतन नहीं, जड़ हैं। चैतन्यका अनुभव निराकुल है, वही जीवका स्वभाव है ऐसा जानना ।४४। Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com
SR No.008303
Book TitleSamaysara
Original Sutra AuthorKundkundacharya
AuthorParmeshthidas Jain
PublisherDigambar Jain Swadhyay Mandir Trust
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, Religion, & Spiritual
File Size3 MB
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