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________________ Version 002: remember to check http://www.AtmaDharma.com for updates पाँचवाँ अधिकार [ विविधमत- समीक्षा ] सर्वव्यापी अद्वैत ब्रह्म सृष्टिकर्त्तावादका निराकरण ९९, लोकके अनादिनिधनपनेकी पुष्टि ११०, ब्रह्मसे कुलप्रवृत्ति आदिका प्रतिषेध १११, अवतार मीमांसा ११२, योगमीमांसा : भक्तियोग मीमांसा ११५, ज्ञानयोग मीमांसा ११८, अन्यमत कल्पित मोक्षमार्गकी मीमांसा १२२, मुस्लिममत सम्बन्धी विचार १२३ अन्यमत निरूपित तत्त्व- विचार सांख्यमत १२५, शिवमत : नैयायिकमत १२७, वैशेषिकमत १२८, मीमांसकमत १३१, जैमिनीयमत १३२, बौद्धमत १३२, चार्वाकमत १३४, अन्यमत निराकरण उपसंहार १३६ अन्यमतोंसे जैनमतकी तुलना अन्यमतके ग्रन्थोद्धरणोंसे जैनधर्मकी समीचीनता और प्राचीनता १३९ कुदेवका निरूपण और उसके श्रद्धानादिकका निषेध व्यन्तरादिका स्वरूप और उनके पूजनेका निषेध १६९, क्षेत्रपाल, पद्मवती आदि पूजनेका निषेध १७३ कुगुरुका निरूपण और उसके श्रद्धानादिकका निषेध कुलादि अपेक्षा गुरुपनेका निषेध १७५, शिथिलाचारकी पोषक युक्तियाँ और उनका निराकरण १८४ कुधर्मका निरूपण और उसके श्रद्धानादिकका निषेध ९६ - १२४ श्वेताम्बरमत विचार अन्यलिंगसे मुक्तिकानिषेध : गृहस्थमुक्तिका निषेध १४६, स्त्रीमुक्तिका निषेध १४७, शूद्रमुक्तिका निषेध १४७, अछेरोंका निराकरण १४८ श्वेताम्बरमत कथित देव-गुरु-धर्मका अन्यथा स्वरूप : देवका अन्यथा स्वरूप १४९, गुरुका अन्यथा स्वरूप १५२, धर्मका अन्यथा स्वरूप १५७ ढूँढकमत विचार : प्रतिमाधारी श्रावक न होने की मान्यताका निषेध १६०, मुखपट्टी आदिका निषेध १६९, मूर्त्तिपूजा निषेधका निराकरण १६२ छठवाँ अधिकार [ कुदेव, कुगुरु और कुधर्मका प्रतिषेध ] Please inform us of any errors on rajesh@AtmaDharma.com १२५ - १३७ १३७ - १४४ १४५ - १६७ १६८ - १७५ १७५ - १८७ १८८ - १९२
SR No.008265
Book TitleMoksh marg prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTodarmal Pandit
PublisherKundkund Kahan Digambar Jain Trust
Publication Year1983
Total Pages403
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Religion
File Size2 MB
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