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________________ स्मरणाञ्जलि. धर्मात्मा श्रीयुत वकील केशवलाल प्रेमचंद मोदीनी प्रेमभरी प्रेरणाने परिणामे प्रस्तुत ग्रन्थनुं सम्पादन में तेमना तरफथी स्वीकार्य हतुं । आजे अत्यंत दीलगीरीनी बात छे के प्रस्तुत ग्रंथ अवलोकषा पहेलां तेओ आ दुनिआमांथी अवश्य थया छे । ante केशवलाल भाई ए बोजा वकीलोनी जेम असीलो साथै कूट गडमथल करी जाणनार वकील न हता पण प्रामाणिकपणे वर्त्तनार आदर्श वकील होषा उपरांत, तेओ धर्मात्मा, अपूर्व साहित्यप्रेमी अने साहित्यसेवक हता । भारतीय तेम ज पाश्चात्य साहित्यरसिक विद्वानोना तेओ मार्गदर्शक अने सहायक मित्र हता । पोताना जीवनमां तेमणे जैन साहित्यनी तेम ज जैन धर्मनी अनेक रीते सेवा बजावी छे । तेमना अभावथी जैन समा जने एक विरल साहित्य सेवीनी खोट पडी छे । हुं सद्गत वकील महाशयना आत्माने शान्ति इच्छी विरमुं छं । मुनि पुण्यविजय. Jain Education International For Private Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.008071
Book TitleAgam 38 Chhed 05 Jitkalpa Sutra
Original Sutra AuthorJinbhadragani Kshamashraman
AuthorPunyavijay
PublisherBabalchand Keshavlal Modi
Publication Year1994
Total Pages243
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Ethics
File Size15 MB
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