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________________ २१८ रूबरू वारि (वारि) वारि-पाणीः रूव (रूप) रूप-वस्तु-पदार्थ, रूपरंग । वित्त। (वेत्र) नेतर-नेतरनी रोमय (रोमक) रूq-रोम-रुवाटुं वेत्ता सोटी-बेत लक्खण । (लक्षण) लक्षण विनाण । (विज्ञान) विज्ञान लच्छण लखण-चिन्ह विण्णाण । लक्कुड लाकडूं विस (विष) विख विहाण (विभान) वहाणु-प्रातःकाळलाङ्गल (लाल) हळ सवार लावण्ण। (लावण्य) लावण्यलायण्ण कांति वीरिय (वीर्य) वीर्य-बळ- शक्ति लाहण लागुं वेर (वैर) वेर-वैर लोसपटलोमपट । रुवाटार्नु सगडय (शकटक) छकडो-शकट ड रोमपट । वस्त्र सञ्च (सत्य) सत्य-साधु लोबडी सत्थ (शस्त्र) शस्त्र-हणवानुं हथीलोहखंड (लोहखण्ड) लोखंड यार-तरवार वगेरे लोह (लोह) लोढुं सत्थ (शास्त्र) शास्त्रः सथिल्लो (सक्थि) साथळ लोहिअ (लोहित) लोही सत्थि वण (वन) वन सयढ (शकट) छकडो-गाडं-शकट वत्थ (वन) वस्त्र-वस्तर सरण (शरण) शरण-आशरो पत्थु (वस्तु) वस्तु सल्ल (शल्य) साल-शल्य वद्दल वादळ संखलय शंखलं वयण (वदन) वदन-मुख साय । (सात) शाता-सुख वयण (वचन) वचन-वेण सात । सावज (सावद्य) पापप्रवृत्ति वरिस (वर्ष) वरस सावत्तक । (सापत्न्यक) सावकुं वंग वांगी-वेंगण सावत्तय वाणि (वाणिज्य) वणज वेपार । सासुरय (श्वाशुरक) सासरूं, सासवादित्त, वाइत्त (वादित्र) वाजींत्र । रान. वर
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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