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________________ २१७ भाण बम्हचेर (ब्रह्मचये) ब्रह्मचर्य-सदा- । मसाण (श्मशान) मसाण चारवाळी वृत्ति ब्रह्ममां परायण महब्भय (महाभय) मोटो भवरहे ते मोटी बीक बयर (बदर) बोर-बेर महाविनालय (महाविद्यालय) बरूम बरू मोटुं विद्यालय-कोलेज बार । (द्वार) बार-बारणुं । महु (मधु) मधु दुवार । मंगल (मङ्गल) मंगल बिंदु (बिन्दु) मींडं मंस (मांस) मांस बिंबिय (बिम्बक) बिब-प्रतिबिंब- माइहर (मातृगृह) मायहें-महियर बीबु मित्त (मित्र) मित्र बीअ (बीज) बी-बीज मित्तत्तण (मित्रत्व ) मित्रताभय (भय) भय-भो - भाईबंधी भायण । (भाजन) भाजन-भाणु- मिहिलानयर (मिथिलानगर) पात्र मिथिला भारहवास (भारतवर्ष) भारतदेश मुह (मुख) मुख हिन्दुस्तान मोत्तिष (मौक्तिक) मोती माल (भाल) भाल-कपाळ-ललाट रज (राज्य) राज्य-राज भोयण (भोजन) भोजन-जमण । रय ( रजस् ) रज-पाप-धूळ-मेल मच्चुमुह (मृत्युमुख) मृत्यु- मुख- रयय (रजत) रजत-रूपुं मोतनुं मोढुं रसायल (रसातल) रसातलमत्थय (मस्तक) माधु मयणफल । (मदनफल) मीढोल रंदुअ रांढर्बु मयणहल रायगिह (राजगृह) विहारमा मरण (मरण) मरण-मोत आवेलु-हाल- राजगिरमलीर (मलयचीर) मलयदेशन मगधदेशनी राजधानी कोमळ, मीणुं अने आर्छ रुप्प (रुक्म) रुघु कापड , रुप्प (रौप्य) रूई पाताळ
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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