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________________ १३५ पुत्र भणे तो पंडित थाय. | मेघा अने प्रक्षा चंद्रिकानी [क्रियाति०] जेम प्रकाशे छे.. आकाशमां बीजळी हमणां आ राजा राज्य तजे तो हुँ झबकशे एम जोशीए कहां. तेनो पुत्र राना थाउं. मेघ बरसे तो घास थाय । [क्रियाति०] [क्रियाति०] बनारस नगरमां गंगा नदी तारी पुत्रवधू मारी बेनना वहे छे अने तेमां नावो : सुखनी पूछा करशे. चाले छे. तुं श्रमण था तो हुं श्रमण धीर पुरुषो दुःखने समये थाउं [क्रियाति०] पण श्रद्धाने तजता नथी कुमार कुमारीने वरशे अने मारी माशीनी शेरीमा तारी साडी आपशे. फईन गोळy गाडं आव्यु. दिशाओमां चारे बाजु चांदनी मारा अंगरखानी बांय अने फेलाय छे. मारो हाथ सरखां नथी. युवति स्त्री श्रमणीनी स्तुति इंद्रो पासे अप्सराओ नाची. करे छे. भूख अने तरस श्रमणोने रात्रीओ अने दिवसो झपा पण पीडा आपशे. टाबंध जाय छे. माखीनी पातळी पांख भमरो फूलनी कळीनो रस ___सुंवाळी छे. पीशे. महावीरे पृथ्वीना राज्यनो वहूनी साडी ऊपर धूळ पडे छे. मोह छोड्यो. पंडितो क्षमा राखे. देवी मातानी पासे गायने तेनी पुत्री वांजणी न थाओ. लई जाओ अने जीवित मारी पुत्रवधू अने बेन आपो. . परस्पर मैत्री राखे छे. वावनी पासे केळो वावो. तमे दान द्यो तो अमे विवाह | घोळां मोतीओनी पंक्ति करीए [क्रियाति०] छीपमा शोमे के.
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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