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________________ रयणी (रजनी) रजनी - रेण राई (रात्री) रात धाई (धात्री ) धाई - धवरावनारी माता कुमारी (कुमारी) कुंवारी तरुणी (तरुणी) तरुण स्त्री समणी ( श्रमणी ) साध्वी साहुवी साहुणी } (साध्वी ९७) तणुवी (तन्वी) पातळी इत्थी (स्त्री) स्त्री - तिरिया थी । बहिणी ( भगिनी) बहेन " १३४ तेनी जीभ ऊपर अमृत छे अने तारी जीभ ऊपर झेर छे. तेनी सासू मने आशिष आपशे के ' तारुं कल्याण थाओ.' गाय अने हाथणी फूलनी माळावडे शोभ. कीर्ति अने कार्यनी सिद्धि माटे प्रयत्न करो. वाराणसी. (वाराणसी) वाराणसी बनारस नगर पिच्छी (पृथ्वी) ९८ पृथ्वी पुहवी (पृथ्वी) साडी ( शाटी) साडी 19 मिती (मैत्री) मित्रता - मैत्री वृत्ति अज्जू (आर्या) सासू - आजी कणेरू (कणेरू) हाथणी कक्कंधू (कर्कन्धू) बोरडी अलाऊ ( अलाबू ) तुंबडी - लाऊ लउआ बहू (वधू ) वहू वाक्यो जेने विवेकनी समझ नथी ते पशु छे. मारी आज्ञाने पाछी आपो. हे बेन ! तारी नणंदनी आंखने सळी न अडे तेम तुं बेस आजे पडवो छे तेथी ब्राह्मणो नहि भणे: ९७ संयुक्त 'वी' छेडावाळा स्त्रीलिंगी नामना अंतिम 'वी' ने बदले: 'उवी 'नो प्रयोग प्रचलित छेः साध्वी- साहुवी. तन्वी - तणुवी. लघ्वी - लहुवी.. मृद्वी - मउवी. गुर्वी- गुरुवी. पृथ्वी - पुहुवी. पट्वी-पडुवी. ९८ कोइ कोइ प्रयोगमां ' व ' ने बदले ' च्छ 'नो व्यवहार चालु छेः पृथ्वी - पिच्छी
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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