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________________ अग्नि (अभि) आग गणि ( गणिन् ) गण - समूहने इकारांत अने उकारांत शब्दो साचवनार-आचार्य गिहि (ग्रहिन् ) गृहस्थ मणि (मणि) मणि सव्वण्णु (सर्वज्ञ) सर्व जाणनार किसाणु (कृशानु) अभि जण्डु (जहूनु) ते नामनो सागरपुत्र भिक्खु (भिक्षु) भिक्षु उच्छु (इक्षु) ईख - शेरडी महेसि महा + ऋषि (महर्षि व्यास वगेरे महर्षि रायरिसि (राज- ऋषि( राजर्षि जीवाउ ( जीवातु) जीवननुं औषध 1- राजर्षि दयालु ( दयालु) दयाळु कवि (कवि) कवि कवि ( कपि) कपि-वानर वाइ ( त्यागिन् ) त्यागी नमि (नमि) ते नामनो एक राजर्षि - मिराज पाणि (पाणि) पाणि - हाथ ८० कयण्णु (कृतज्ञ) कृतज्ञ - कदरदान गुरु (गुरु) गुरु-भारे मोटुं लड्डु (लघु) लघु- हळवं नानुं पाणि ( प्राणिन् ) प्राणी भयारि ( ब्रह्मचारिन् ) ब्रह्मचारी मेहवि (मेघावन) मेधावाळो - बुद्धिमान वणस्सइ } (वनस्पति) वनस्पति करेणु (करेणु) करी - हाथी कुंथु (कुन्धु) कंथवो - एक नानो जीवडो विजत्थि ( विद्यार्थिन् ) विद्यानो अर्थी-विद्यार्थी विद्दु (विधु ) चंद्र कमंडलु ( कमण्डलु) कमंडळ मंतु (मन्तु) अपराध, शोक तरु (तरु) तरु-दु-झाड जंबु (जम्बु) जांबु, जांबुनुं झाड विवि ( विटपिन् ) वीड - झाड साणु (सानु) शिखर बंधु (बन्धु) बंधु-भांडु - भाई विशेषण पीलु (पीलु) पीलु, पीलुनुं झाड ऊरू (उरु) ऊरु साथळ पावासु ( प्रवासिन् ) प्रवासी मिउ (मृदु) मृदु - कोमळ-नरम दुहि ( दुःखिन् ) दुःखी दुग्गंधि ( दुर्गन्धिन् ) दुर्गन्धी चीज
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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