SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 18
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ i प्रतिक्रमण विवेचन रात्रि दरम्यान हुए पापोकी शुद्धिके लिए 'राई प्रतिक्रमण' हररोज सुबहको करना चाहिए । दिनमें हुए पापोकी शुद्धि 'देवसि प्रतिक्रमण' द्वारा होती है । यह प्रतिक्रमण हररोज शामको होता है । हर पंद्रह दिनमें आत्माकी विशेष शुद्धिके लिए सांध्य प्रतिक्रमण - 'पक्खी प्रतिक्रमण' हर महिने सुद और वद चौदसको होता है । हर चार महिनेमें जानते - अजानते हुए पाप कर्मोसे विशेष मुक्ति पानेके लिए 'चउमासी प्रतिक्रमण' करना है । पूरे सालमें जो पापकर्म जानते अजानते बंधे है उसके प्रायश्चितके लिए 'सांवत्सरिक प्रतिक्रमण' होता है। यह प्रतिक्रमणमें जगतके सर्व जीवोको खमाते है । और इस तरह आत्मा अपने पापकर्मोसे मुक्त होता है ।
SR No.007740
Book TitleSamvatsari Pratikraman Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorIla Mehta
PublisherIla Mehta
Publication Year2015
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size28 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy