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________________ आचार्य समन्तभद्र कृत वृहत्स्वयम्भूस्तोत्र चौबीस तीर्थंकरों की स्तुति का एक प्राचीन ग्रन्थ है, उसमें भक्ति-स्तुति के साथ दर्शनशास्त्र के गूढ़-गम्भीर सिद्धान्त भरे हैं। सभी को इस ग्रन्थ का स्वाध्याय अवश्य करना चाहिए। ___ धर्मानुरागी श्री विजय कुमार जी जैन, देहरादून ने इस ग्रन्थ का अंग्रेजी में अनुवाद एवं व्याख्यान करके बड़ा सुन्दर कार्य किया है। आज के युग में इसकी बड़ी आवश्यकता थी। उनको मेरा बहुत-बहुत मंगल आशीर्वाद है। नई दिल्ली, अक्टूबर 2014 आचार्य विद्यानन्द मुनि विद्वानों और त्यागियों के 'स्वामि' ऐसे समन्तभद्र का परिचय एक श्लोक के द्वारा दस विशेषणों से अलंकृत हुआ है - आचार्य, कवि, वादी, गमक, दैवज्ञ, भिषक (वैद्य), मान्त्रिक, तान्त्रिक, आज्ञासिद्ध एवं सिद्धसारस्वत। ऐसे महान् आचार्य द्वारा रचित 'स्वयम्भूस्तोत्र' का अत्यंत परिश्रमपूर्वक अंग्रेजी में अनुवाद करके श्रीमान् विजय कुमार जैन समस्त भव्यजनों के पुण्यलाभ का कारण बने हैं। ज्ञानवृद्ध, घनविद्वान, सद्धर्मप्रेमी, धर्मानुरागी श्रीमान् विजय कुमार अपने समय का सदुपयोग जिनवाणी की सेवा में सतत करते रहें यह हमारा मंगलमय शुभ आशीर्वाद हस्तिनापुर, नवम्बर 2014 परम पूज्य आचार्य 108 सुबलसागरजी महाराज के सुशिष्य परम पूज्य 108 श्री अमितसेन मुनि ISBN 81-903639-7-2 Rs.: 500/ विकल्प Vikalp Printers
SR No.007721
Book TitleSwayambhustotra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay K Jain
PublisherVikalp
Publication Year2015
Total Pages246
LanguageEnglish, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_English & Book_Devnagari
File Size3 MB
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