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________________ विपय और प्रश्नादि पत्राक विपय और प्रश्नादि पत्राक सस्था० सम्मच्छिम मे सर्वत्र ऊही है,५९८| बारह याजन इत्याटि , त्रीन्द्रि तीन कोस , मनुष्य मे ६ सस्थान सम्म० मे ऊही है, छो| चौरिद्री चारकोस , पचेद्रिय १००० योजन दारिफ शरीर की कितनी बझी अवगाहना है। __ इत्यादि ६०१ इत्यादि ५९९ | जोयणमहस्मछगा यह सग्रहणि गाथा २ मनु पृधियीकाय एकद्रिय श्रौदारिक धारीरावगाहना ___ष्यौदारिक शरीरायगाहनाधिकार ६०२ उत्कृष्ट जघन्य अगुल असख्यात भाग एव अ वैक्रिय शरीर द्वि नंद व्यक्त व्यताधिकार पर्याप्त पर्याप्त , एवं सूक्ष्म पर्याप्ता पर्याप्त, या वैक्रिय शरीर सस्थान वक्तव्यताधिकार दर पयोमा पर्याप्त मी, एव अप्काय भी ६०० नारकी श्रादि दहक मे वैफ्रियशरीर सस्थान ६०८ सजस्काय वायुकाय भी ऐसे ही कही, वनस्पति वैतिर शरीरायगाहना वक्तध्यताधिकार में जघन्य अगल प्रसख्यात भाग उत्कृष्ट सा आहारक शरीर वक्तव्यताधिकार तिरेक हजार योजन व पर्या० अगुल अस आहारकशरीर संस्थान यक्तव्यताधिकार ख्यात भाग , पर्याप्त पूर्व कहा तैसे है ६०० तैजसशरीर वक्तव्यता ६२० द्वीन्द्रिय जघन्य अगुल असख्यात भाग उत्कृष्ट | तेजमवारीर सस्थान निर्णय २५ दडक में ६२१
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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