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________________ विषय और प्रश्नादि पत्राक विपय और प्रश्नादि पत्राफ गनप्युत्क्रान्तिक पचेद्रिय तिर्यच तथा पर्या०श्च। एय मनुष्य पत्त थपजत्त समष्छिम गर्नज | __ पर्या० गजव्युत्क्रान्ति पर्चे द्रय की स्थिति | २१७ ___ मनग्य स्थिति विषय | २२२ ।' एव जलचर पर्या० थपर्या० पचेद्रिय तिर्यच यानम्पन्तर देवता देवी पया० पर्या० स्थिसि | २२२ स्थिति २१७ ज्योतिक दवसा ठेवी पर्या० शुपया० स्थिति । | २२३ एव समर्छिम पर्या० पर्या० तथा गनव्युत्क्रा चन्द्रयिमान मे देवता पया० शुपया० स्थिति । २२३ न्तिम पर्या० पर्या० पचेद्रिय जलघर स्थिति सर्यविमान मे ठेवता सपा ठधी प०प० स्थित्ति | २२१ एष सन्नेद स्थलचर पवेद्रिय सिय स्थिति २१८ ग्रहविमान में दक्षता तथा दवी प००प० स्थिति | २२५ उरपरिसर्प स्थलचर पर्या० थपर्या० पचेंद्रिय नक्षत्र विमान दय दयी प० शप० स्थिति २२५ स्थिति तारा विमान देव देवी प० थप० स्थिति २२६ सछिम पर्या० एपर्या० स्याउघर उरपरिसर्प वैमानिक देव देवी प० थप० की स्थिति २२६ पर्वंद्रिय | २२० सौधर्म देयाच्या पर्याय व भजपरि सर्प की स्थिति अरिजीत २९: रिगीत पेश एवं धालीया में एवं सबसद्रियातिर्य स्थिति स्थिति | २२६ । २१७ | २१९
SR No.007380
Book TitleAgam 24 to 33 Das Prakirnak Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1886
Total Pages388
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Conduct
File Size8 MB
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