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________________ t रायणी । मत्थंडा मकरडा नारामारा पुल्नावलि परमत्त सागस्तरग वणलय पउमलय भत्तिचित्त' ग्रामदिव्य गट्टविह उवदमेदूर एवबक्वेविवया पाaिsty समोसरणादिए सावन्त व्वया नाव देवरमणे पव्वत आविहोत्था ततेाते वहवे देवकुमाराय देवकुमारीवातोय समणस्स भगव महावीरस्स ईहामिय उसभ तुरंग पर मगर विहग वालग किरणर रुरु सरभ चमर कुजर वणन्तय पडमलय भत्तिचित्त ग्राम दिव्व गट्ट विह उवदमे ३ एगउवक दुहउवक एगतोख ह दुहतोखुर एगउववकवाल दुइउवक्कवाल ग्राम दिव्व विहडव ४ चदावलिपविभत्ति सूरावतिपविभत्तिच हसावलिपविभत्ति'च गावन्नियविभत्ति च त्तारावलियपविभत्ति'च कण्णगावलिपविभत्ति श्रेणिप्रश्रेषि स्वस्तिकपुष्पमाणववर्द्धमानकमत्स्या डकमकराण्डकजारमारपुष्पावलिपद्मपवसागरतरग वासन्तीलतापद्मलताभक्तिचिवनामद्दितीय नाटनविधिमुपादर्शयन्ति २ । तदनन्तर तृतीय नादरविधिमुपदशयितु भूय स्तथैव समवसरणादिक कुर्वन्ति एवं समवसरणादिकरणविधि के कस्मिन्नारविधी प्रत्येक drasanaat याव (देवरमये पव्वते पाविहोत्या) तत इहामृगऋपभ तुरगनरमकरविहगव्यालकिन्नररूरू सरभचमर कुञ्जरवनलतापद्मलताभक्तिचिवनाम तृतीय दिव्य नानविधिमुपद यन्ति ३ । तदनन्तर भूयोपि समवसरणा विधिकरणानन्तरमेकत प्रचक्र एकतश्चक्रवालद्दिधातश्चक्रवालचक्राई चक्रवाल नाम चतुधं दिव्य नाटरविधिमुपदर्श यन्ति । तद नन्तर मुक्तविधि पुरःसर चन्द्रावलिप्रविभक्तिसूर्यावलिप्रविभक्तिबलयावलिप्रविभक्ति हसावलि प्रविभकिकाबलि प्रविभक्तितारादिप्रविभक्तिमुक्तावनिप्रविभक्तिकनकावलिमविभक्तिरत्नावलिमविमलपणर्वसथाकाकहड♠द्रजलचरजीववशेषणफूलनीयक्ति कमलनीपापडी समृद्रनाकन्लील भी कादिलता पद्मलताएं हवीभातिकरीविचित्र नामप्रधान नाटकविधि देषाद्विती नाट पनन अकेकि नाटकविडिदू समोमरणादिक एगठउमिलवु वाजिव गोत एडसर्वचक्रज्यताकहरी जिहा लग देव समर प्रवत्तनु हु तिहारपकी तेह्रद्ययादेवकुमार देवकुमारी श्रमण भगवत महावीर गलि वरगडावरूप वृषभघोडुमनुष्य च स किनरदेवतामृग अचपदचमरीगाइ हस्ती शाकादिवनलता पद्मलताएपीपरि भातिविचव एोठामै प्रधान नाटिकविधि देपड वीजुनाटक वीतिमनवाडा केपास बाकु विदुपासेवाकु एकईपास अकुसनद्याकारदू 0 विद्दु पासह श्रकुसाकर एकइपासङ चक्राकर वलयाकारद्र विन्दु पास चक्राकार वलयाकारवचक्रवाल नामप्रधान नाटकविधिदेपाडधनाटक क्लातिमलचद्रपक्तिनाभाति तेइ पर निमजमूर्य पक्ति A ८१ 1
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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