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________________ ४३ रायपसंगी। पाउन्भवमाणापासाति पासित्ता इहह जावदियए पाभियोगिय देव मदावेति महावेत्ता एववयासी खिप्पामेव भो टेवाणु प्पिया अणग व भमय स निविड लीलट्ठिय सालिमाज आग इहामिव उसम तुरग शाविहग वालग किन्नर कम सरभ चमरकुजर वणलय पउमलयभत्तिचित्त ख भुयाग वरवयरखेवा परिगवाभिराम विमा हर जमल जुबल जतजुत्तपिव अचासहस्स मालिणीय स्वगसहस्स कलिय भिसिमा २ चक्ख लोवणलेम स हफास समिरीवख्य (अगंगखममयसन्निविद्ध)मिति भनेकैपु स्तम्भगतपु सन्निविष्ट (लीलहियसालिभजियाग)मिति लीलया स्थिता लीलास्थिता । यनेन तामा पुत्तलिकाना सौभाग्यमावेदयति, लीलास्थिता' गालिभन्जिका पुत्तनिका यत्र तत्नया, (दहामिय उसमतुरगनरमगरविहगवालगकिन्नरमरसरमचमर कुन्नरवालयपउमलयभत्तिचित्त)मिति दहा मृगा वृका' व्याला स्वापदभुनगा डहामगपभ नगरमगरविहगळ्यालकिन्नररुरुसरभचमरकुज्जरवनलवापलताना मला विछियाचित्रमा लाखीवन तत्तयार तथा स्तम्भीहुतया स्तम्भोपरिवत्ति न्या वजरलमय्या दिकया परिगत मति सत यदभिराम तत् म्तम्भीहुतववेदिकापरिगताभिरामम। (विजनाहरजमलजुयलजन्तजुत्त पिव) इति। विद्याधरयो यत् यमलयुगल समर्थ पीक छन्द विद्याधरवमलयुगल तच्च तत् यन्वञ्च सवरिप्णु पुरुषमतिमाद्वयरूप तेन युक्त तदिव तथा अचिपा किरणाना महर्म मालिनीय परिवारणीय अचिसहसमालिनीय तथा रूपकमहसकिलित भिसमानन्ति दीप्यमान भित्भिसमान मतिपयन देदीप्यमानम् । (चक्नुल्नीयण नसन्ति) चनु कर्तृलोकलिगतीव दशनीयत्वातिशयात नेप्यतीव यव तत्तया, (मुहफास)न्ति शुभ कोमल स्पायम्य तत्तया । सश्रीकानि मशीभकानि देवनद ममीवर भावद तिवारपशी तह मूमाम देव तैमयाभ विमान वामी या विमानिक देवता देवागना अविऊतावलामधलीरद्धिपग्वरायकी धापयद समीपद पाध्यायका मूयाभदेवदेवदेखर दंषीनए हर्ष मतीपपाम्यु चित्तमाहिआणन्द सबक देवप्रति तैडावद तडाबीन पहबुबीलतुहुउ तत्कालि अहर्दिवानुप्रिय एइवउ एकविमानरविउ तेकइयउ घणा व भतासतनविधी थापि द्र लीलापरहीएतल मौभाग्य सहितपतलीदनेहविमाननविपद वरघडा व्या घोटा मनुष्य पक्षी सप किनरदेवता मृग अष्टापद चमरीगाइ हस्ती बनलताअगोकलतादिक पालतावा कमललतादिक पदवीभातिकरीविचिउछह विमानपभऊपरिकमलनीवजमयीवैदिकाउपत्यासिर तण्डकरीसहित पहवउ यक अभिराममनोहरदत्वयं विद्याधरन बमलसमापिड रहिट युगलजोडिड एइबरनवनयोग्यतीणाकरीसहितनहुदमचाल कारजालीदवालसारिएरपतिमा
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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