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________________ रायपसेगी। जाए तप्पम्भिवचण रज्यच रह च बलच वाहणच कोसच कोट्टागारंच पुरच अतेउरच जणवयच अण्णाढायमाणे विहरति ततेण तीस मरियकता देवीए इमेयारूवे अभत्धिए ममुप्पमित्या जप्पभय चण पएसीरावा समग्योवासए जाण तप्पभिई'चा रज्जच रहच जाव अ ते अरच जाव समच जाणवयच अनाढायमाणेयाविहरद् तसेय खलुमे पदेसीराय केणयसत्यपगयोगेणवा अग्गिपयोगणवा मतपयोगेणवा उद्दावेत्ता सुरिवकत कुमार रझववेत्ता सयमेवरज्म मिरि करमाणी विहरत्तए तिकट्ट एव सपेति २ सूरिव कत कुमार सदावेत्ति २ एव वयासी जप्पभिइ चण पदेसीराया समणोवास जाए तप्पभवचण रज्मच रहच नाव अतेउरच जणवयच माग स्सए कामभोगेय अणाढायमाणे प्राविविहरति तसेय खलु तव पुत्ता पदेस राय केण सत्यप्पउगेणवा जाव उद्दावेत्ता मवमेव रज्भसिरकरमाणस्स पालेमाणम्स विहरित्तते ततेण मूरिवकते राणा वामहत्तरकाना चान्त' पुर कायचिन्तकाना वृन्दैन परित्तिप्त', तथा हस्तास्त हस्तापर सद्वियमाण अध्कादक परिभोज्जमान' परगीयमान स्तथाविध वालीचित गीतविशेषः । वानीवपुन्यपाप आश्रवस वरनिर्जरावधमोक्षादिकनवचतनुजाणवउ चिचसारथीनीपरिपीसद डिकमणबारवृति आपणु आत्माभावनुथविचरबछडू लेहदवसथकी प्रदसी राजा श्रावक थयु हदिवसथकी राज्यसप्तागदेसहाथीपाडा रथादिक समनाघरथाधाननाकोडार पुरामोटानगर बीयादिकएतलान अग आदरकरतुविता अणकरतु वीचरइछ तिहारपछी तेह मरीय तान देवीन एहनुएक यात्मानदविषद सकल्प अपनुहदिनधी प्रदेसी राजा थावक बधउतहदिनथी राज्यदेस बलवाहन अ तेउरन' अनद मुझनद लोकनड चितासभाल अणकरतुथकविचर तेह कल्याणसहीमुझन थाउमदेसी राजामहिकहइकइससन व्यापार अथवाअग्निनप्रयोगद्र मवनड प्रयोगड मारीनद सूर्यकात कुमारप्रतिराज्यनविपद्यापीनइ सयमेवपोतराज्यतासोभा करताथका विचरतु मकही एहवुवितनकरिबीतवीन २ सुर्यकातकुमारप्रति तेडावद तेडावीन इमबोल्या जिद्वारधकी प्रदेसी राजा धावक थयउ तिहारपछी राज्यसनिहालगडू अतउर लोकप्रतिद तथा मनुष्यसबधीया कामभोगप्रति प्राणादरदतउथकउ विचरडष्ट्र माटियेय कल्याणकही तुलनिहेपुवघाउ प्रदेसी राजानः कुण्डकसमनव्यापार वादिक कद मारान
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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